बांग्लादेश के राष्ट्रपिता को निवेदित कविताओं की पुस्तक

बांग्लादेश के राष्ट्रपिता को निवेदित कविताओं की पुस्तक का हुआ आभासीय लोकार्पण

कोलकाता। बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्म शतवार्षिकी को केंद्र में रखकर बांग्लादेश आविर्भाव के दौरान मुक्ति योद्धाओं के संघर्ष और बंगबंधु की भूमिका पर उस समय एपार बांग्ला और ओपार बांग्ला में काफी कविताएं लिखी गईं। उन कविताओं में से एक सौ विभिन्न कवियों की महत्वपूर्ण बांग्ला में लिखी कविताओं का हिंदी अनुवाद किया है बांग्लादेश राजशाही विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सफीकुन्नबी सामादी ने और इस संकलन का प्रकाशन दिल्ली के केबीएस प्रकाशन ने किया है। इस पुस्तक की विस्तृत प्रस्तावना लिखी है हिंदी के कवि, पत्रकार तथा कोलकाता ट्रांसलेटर्स फोरम के अध्यक्ष रावेल पुष्प ने तथा भूमिका बांग्ला के विशिष्ट साहित्यिक तथा फ़ोरम के कार्यकारी अध्यक्ष श्यामल भट्टाचार्य ने।

बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान

बांग्लादेश की साहित्य संस्कृति की संस्था करात कल ने इस पुस्तक का लोकार्पण तथा अंतर्राष्ट्रीय परिचर्चा अपने फेसबुक पेज पर लाइव आयोजित की, जिसका संचालन कर रहे थे लंदन से गुलाम रब्बानी और भाग ले रहे थे – स्वयं अनुवादक सफीकुन्नबी सामादी, इस्माइल सादी, सुलोचना वर्मा, मफ़रूहा शिफ़ात तथा रावेल पुष्प।

इस परिचर्चा में ये बात उभर कर सामने आई कि अपने जीवन के 12 वर्ष बंगबंधु को बांग्ला भाषा तथा देश के आवाम के लिए जेल की कोठरी में बिताने पड़े तथा उनकी अपनी जीवन यात्रा और बांग्लादेश के अभ्युदय की संघर्ष यात्रा में कहीं कोई भेद नहीं था। उनका स्वयं का जीवन ही वस्तुतः संघर्ष की अनमोल कविता था। हिन्दी में अनूदित ये कविताएं भारत के विशाल हिन्दी जन-मानस को बंगबंधु एवं बांग्लादेश के अभ्युदय के पीछे संघर्ष को जानने-समझने का एक खास मौका देती हैं। इस मौके पर जहां इस्माइल सादी ने बंगबंधु पर बांग्ला कवियों की कुछ कविताओं की आवृत्ति की, वहीं सामादी तथा सुलोचना वर्मा ने उन पर कुछ अनूदित हिंदी कविताओं की आवृत्ति की। इस परिचर्चा के दौरान रावेल पुष्प ने बंगबंधु के 1972 में कोलकाता ब्रिगेड परेड ग्राउंड में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समक्ष हुए उस ऐतिहासिक भाषण का जिक्र किया जिसमें बंगबंधु ने कहा था कि बांग्लादेश के अभ्युदय में भारत का जो योगदान रहा उसका ऋण कभी चुकाया नहीं जा सकता।

इस लाइव कार्यक्रम के दौरान विभिन्न देशों से कई छात्र फेसबुक पेज से जुड़े रहे।

प्रेषक: रावेल पुष्प, वरिष्ठ पत्रकार, कोलकाता

9434198898.

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