किनारे पर मैं हूँ
नई दिशा नया जीवन
साथ-साथ लेकर
मैं अब मैं को छोड़ आया।
नींद खुली थी जिस आंगन,
सांझ ढ़ली थी जिस देहरी पर
वो घर वो द्वार छोड़ आया
नई दिशा नया जीवन
साथ साथ लेकर,
मैं अब मैं को छोड़ आया।
घुट रही थी सांसे जिनमें
वो अंधेरी गलियां,
भटक रही थी रूह जिनमें
वह अंधेरी रतियां,
अपरिचित था इतिहास जहां
वह जमीं,वो आसमां छोड़ आया
नई दिशा नया जीवन
साथ साथ लेकर,
मैं अब मैं को छोड़ आया।
किसी रिश्ते का जख्म नही
कोई शिकवा कोई रंज नही
मैं इंसान के इस खेल से
ख़ुद को दूर छोड़ आया
नई दिशा नया जीवन
साथ साथ लेकर,
मैं अब मैं को छोड़ आया।
जो समझे थे मेरी जिन्दगी के मायने
जो निकले थे अपने ह्रदय के गर्त से
मुझे गले लगा सामने,
बस उनके मुस्कानों में
अपनी मुस्कान छोड़ आया
नई दिशा नया जीवन
साथ साथ लेकर,
मैं अब मैं को छोड़ आया।
फुरसत में आज की रात
फुरसत में आज की रात
गुजर जाने दे,
जीवन के चंद लम्हों को,
आज ठहर जाने दे!
क्या-क्या हिसाब रखू
बीते जलजलों का,
बस गम ए मदहोशी में
आज उतर जाने दे!
अब न हकीकत है
न फरेब न शिकवा शिक़ायत,
छोड़ इस कश्मकश को दिल,
अब घर जाने दे!
तेरी इरादों को न समझ सका
कभी जिंदगी,
बक्श दे अपनी हुकूमत से,
आज मुझे मर जाने दे!
घुट-घुट कर जीना ए दिल
बहुत हो चुका
आखरी सांसो में आज,
कोई नया शहर जाने दे!
खुलकर इबादत तेरी कर न सके ऐ खुदा,
न सम्हाल मुझें आज,
अपनी नजरों में गिर जाने दे!
मिट गई खुद की हस्ती
इंसानियत को बचाते-बचाते,
अब खिलौनों की तरह
वक्त के चाभी से भर जाने दे!