गुरू नानक देव पर निबंध

गुरू नानक देव पर निबंध 
Essay on Guru Nanak Dev in Hindi

गुरू नानक देव पर निबंध Essay on Guru Nanak Dev in Hindi Hindi Essay on Guru Nanak Dev Ji गुरु नानक देव जी सिखों के प्रथम गुरु ,धार्मिक व्यक्ति ,दार्शनिक ,समाज सुधारक व कवि थे। गुरु नानक का जन्म सन १४६९ ई. में कार्तिक पूर्णिमा को लाहौर के पास तलवंडी नामक ग्राम में हुआ था जिसको अब ननकाना साहब कहते हैं। इनके पिता का नाम कालूचंद बेदी तथा माता का नाम तृप्ता था। उनकी मृत्यु ७० वर्ष की अवस्था में सन १५३९ ई में हुई।  

गुरु नानक का आरंभिक जीवन 

गुरू नानक देव जी
गुरू नानक देव जी 
नानक जी को ७-८ वर्ष की अवस्था में पढ़ने के लिए भेजा गया गया परन्तु उनका मन पढाई में न लगा। जब वे कुछ बड़े हो गए तो उनके पिताजी ने खेती की देखभाल करने को कहा लेकिन खेती में उनका मन न लगा। तब उनके पिता ने पहले दुकान खोलने और बाद में नौकरी करने को कहा परन्तु उनका मन किसी भी काम में न लगा। अंत में एक दिन पिता ने उनको चालीस रुपये देकर लाहौर भेजा और कहा “बेटा ! कोई ऐसा खरा सौदा करना जिसमें लाभ हो। “उनके पिता ने बाला नामक जाट नौकर भी उनके साथ कर दिया।रास्ते में नानक ने साधुओं की तीन दिनों से व्याकुल एक टोली को देखा और उन्होंने उनको भर पेट भोजन करा दिया तथा जब सब रुपये खर्च करके खाली हाथ घर लौट आये ,तब उनके पिता को यह सब मालूम हुआ तो उन्होंने उनको खूब फटकारा परन्तु नानकजी के व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं हुआ।थोड़े दिन उनके पिता ने उनकी शादी कर दी। उनके श्रीचंद और लक्ष्मीचंद नामक दो पुत्र भी पैदा हुए परन्तु उनका मन घर – गृहस्थी में नहीं लगा और उन्होंने घर छोड़ दिया।  

धर्म प्रचार 

नानक घूम – घूमकर उपदेश देने लगे। उनके पिता ने मर्दाना नामक एक मुसलमान गवैये को उनके समझाने के लिए भेजा परन्तु वह उनके उपदेश से ऐसा प्रभावित हुआ कि उनका शिष्य बन गया। बाला तो उनके साथ पहले से ही रहता था। नानकजी मक्का मदीना आदि स्थानों की यात्रा करने के बाद करतारपुर में रहने लगे। वहाँ उन्होंने लहना नामक एक होनहार बालक को अपना शिष्य बनाया जो आगे चलकर गुरु अंगद के नाम से उनकी गद्दी का उत्तराधिकारी बना। 

गुरु ग्रन्थ साहिब

नानकजी के धर्म को मानने वाले लोगों को सिख कहते हैं। उनका धार्मिक ग्रन्थ गुरु ग्रन्थ साहिब है। गुरु ग्रन्थ साहिब का लेखन गुरुमुखी लिपि में हुआ है।गुरुग्रन्थ साहिब में मात्र सिख गुरुओं के ही उपदेश नहीं है, बल्कि ३० अन्य हिन्दू संत और अलंग धर्म के मुस्लिम भक्तों की वाणी भी सम्मिलित की गयी है। इसका संपादन सिख सम्प्रदाय के पांचवें गुरु अर्जुन देव जी ने किया। गुरुद्वारों में गुरु ग्रन्थ साहब बड़े आदर के साथ पवित्र स्थान पर रखा जाता है। सिख लोग बड़े सम्मान के साथ प्रतिदिन इसका पाठ करते हैं। 

गुरू नानक देव जी की शिक्षाएँ 

नानक सर्वेश्वरवादी थे। वे हिन्दुओं व मुसलामानों को बराबर मानते थे। आपने लोगों को सन्देश दिया कि ईश्वर एक ही है। सभी लोगों को आपस में मिलकर रहना चाहिए। सभी ईश्वर की दृष्टि में समान है ,इसीलिए कोई अमीर -गरीब ,ब्राह्मण -शूद्र का भेद बेकार है। मनुष्य को दूसरों की भलाई तथा सेवा में लगा रहना चाहिए। अच्छी जाति का व्यक्ति वही है ,जो अच्छे काम करता हो। जाति -पांति एवं छुआछूत का भेदभाव नहीं मानना चाहिए क्योंकि हम सब एक ही ईश्वर की संतान है। हमें सदैव ईमानदारी से काम करना चाहिए। अच्छे काम करके हम महान बन सकते हैं। 

You May Also Like