घर आ जाना
अंधियारा तम जब घिर जाए
राह कहीं जब नजर न आए।
मन के कोने दीप जलाना।
तुम चुपके से घर आ जाना।
जब भी टूटे हृदय तुम्हारा।
लगे जगत ये सूना सारा।
द्वार मेरा तुम तब खटकाना।
तुम चुपके से घर आ जाना।
इस दुनिया से मन भर जाए।
मन तुमसे धोखा कर जाए।
धीरे से आवाज़ लगाना।
तुम चुपके से घर आ जाना।
जब आंसू आंखों झर जाए।
सावन जब आगी बरसाए।
अपने हिय को मत तरसाना।
तुम चुपके से घर आ जाना।
अपने जब तुमको ठुकरायें।
आँचल में कांटे भर जाएं।
ऐसे में तुम मत घबड़ाना।
तुम चुपके से घर आ जाना।
– सुशील शर्मा