चेहरे

चेहरे

क्यों चेहरे बदलते हो।
छाती पर मूंग दलते हो।
कभी मन का कभी तन का
लिबास क्यों बदलते हो।
चेहरे
कभी इनका कभी उनका
दामन थाम के चलते हो।
कभी इधर कभी उधर
क्यों पाला बदलते हो।
कभी पैसा कभी गाड़ी
झूठी शान में चलते हो।
कभी ऊपर कभी नीचे
हरदम क्यों फिसलते हो।
कभी प्यार कभी तकरार
मौजें क्यों बदलते हो।
कभी मिन्नत कभी शिकवा।
अरे क्या खूब मिलते हो।
कभी गाली कभी ताली
अरे वाह खूब जलते हो।
– सुशील शर्मा

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