विकास ज़ोरों -शोरों पर

विकास ज़ोरों -शोरों पर 

शहर में भवनों-इमारतों का निर्माण

और शहर का विकास

ज़ोरों-शोरों पर है।
वहां काम करती औरत
और उसकी पीठ पर बंधा बच्चा
औरत का कराहना
बच्चे का रोना-चिल्लाना
ज़ोरों-शोरों पर है।
औरत
काम से हटकर उस औरत का
रोते-चिल्लाते बच्चे को
अपनी सूखी छाती से दूध पिलाना
बच्चे का सूखी छाती से दूध को चूसना
ज़ोरों-शोरों पर है।
रोज़ शाम को थक-हारकर
औरत का अपनी टूटी-फूटी
झोंपड़ी में लौटना
कच्चे चूल्हें पर रखी हांडी में
उस औरत का चावलों को घोटना
चावलों का घुटना
ज़ोरों-पर है।
इस तरह शहर में एक माँ
और बच्चे का विकास
ज़ोरों-शोरों पर है।
नाम-आमिर
पता-जामिया मिल्लिया इस्लामिया, विश्वविद्यालय, नई दिल्ली-110025

You May Also Like