आज फिर बेटी लाचार है – हुआ उस पर फिर अत्याचार है

लाचार बेटी


आज फिर बेटी लाचार है
हुआ उस पर फिर अत्याचार है

वहशी दरिंदे खुले घूम रहे हैं
समाज के फिर मुंह सिल रहे हैं
फिर बेटी घूमने से लाचार है
हुआ उस पर फिर अत्याचार है

कौम आवाम कहां है कहां है रखवाले

लाचार बेटी
लाचार बेटी

इतिहास को क्यों छुपाते यह इतिहास वाले
एक बार फिर इंसानियत शर्मसार है
आज फिर बेटी लाचार है
हुआ उस पर फिर अत्याचार है

हाय , तोबा, छी  करने से क्या होगा
मन मसोसकर क्या इंसाफ होगा
निर्दयी की दुत्कारने की दरकार है
आज फिर बेटी लाचार है
हुआ उस पर फिर अत्याचार है

आखिर कब तक बेटियां यू सहती रहेंगी
कब तक जानवरों से नोची जाएंगी
बचपन से ही दिया जाए ये वो सत्कार है
आज फिर बेटी लाचार है
हुआ उस पर फिर अत्याचार है

चढ़ा दो फांसी चाहे गला काट दो
चौराहे पर जाकर चाहे पत्थरों से मार दो
सजा का खौफ मन में ना बसे तो
होता जुल्म बार-बार है
आज फिर बेटी लाचार है
हुआ उस पर फिर अत्याचार है

– सोनिया अग्रवाल 
प्राध्यापिका अंग्रेजी
राजकीय पाठशाला सिरसमा
कुरूक्षेत्र

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