जायके का सफर Zaike Ka Safar Gunjan Hindi Book

जायके का सफर नूतन गुंजन

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जायके का सफर पाठ का सारांश

प्रस्तुत पाठ  जायके का सफर  से लिया गया है |  यह एक लेख है, जिसमें भारतीय व्यंजनों के बारे में लिखा गया है। सफर हमेशा से ही रोमांचित और अविस्मरणीय होते हैं। विशेषकर तब जब वह सफर हमारी जीह्वा के अनेक तंतुओं को झंकृत करते हुए पेट के रास्ते आत्मिक संतुष्ट का अनुभव कराए। इस लेख में सफर है स्वाद यानी जायके का और यह सफर तब तक और विशेष हो जाता है जब जायका भारतीय संस्कृति की विविधता का स्वाद समेटे हो। भारतीय भोजन यहाँ की परंपरा, सांस्कृतिक विविधता और अमृततुल्य स्वाद का बेजोड़ संगम है। यहाँ भोजन पकाने की अलग-अलग विधियाँ यहाँ की भोजन की थाली को विशिष्टता प्रदान करती हैं। अपनी इसी विशिष्टता के कारण भारतीय व्यंजन पूरी दुनिया में लोकप्रिय है। प्राचीन समय में विदेशी व्यापारी यहाँ के भोजन के  इस कदर दीवाने थे की वो इसे बनाने की विधि सीखते थे और यहाँ के गरम मसाले लेना नहीं भूलते थे। भारतीय खाने की विविधता उसे पकाने वाले विविध शैलीयों के कारण है | 

जब ब्रिटिश सेना भारत आए तो उनके रसोइए भी एक व्यंजन के इतने रूपांतरों से चकित रहते थे। इससे जुड़ी एक कहानी भी है सेफ विलियम के अधिकारी को भेलपुरी खाना था, उसके लिए विलियम को भेलपुरी बनाने की विधि जाननी थी लेकिन उसे पता नहीं चला, क्योंकि उस समय खाना बनाने की विधियाँ मौखिक रूप से ही एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी तक पहुँचाई जाती थी, इसलिए उसको बनाने की विधि लिखित रूप में उपलब्ध नहीं थी और यहाँ सभी घर में इसे अलग विधि और मसाले से बनाई जाती थी। मूल सामग्री एक होने पर भी उसे बनाने और उसमें डाले जाने वाले मसालों के कारण व्यंजन के स्वाद और रंग-रूप दोनों बदल जाते हैं। इस जायके के सफर में भारत के व्यंजनों का अनेक बदलाव और रूप देखने को मिलेगा। खाना पकाने में उपयोग होने वाली मुख्य सामग्री सब्जी, अनाज, फल की उपलब्धता और मसालों की भिन्नता के आधार पर भारत में खाना पकाने की चार क्षेत्रीय शैलियाँ प्रचलित है। 

उत्तर भारतीय, दक्षिण भारतीय, पूर्व भारतीय, पश्चिम भारतीय में अलग-अलग व्यंजनों का प्रचलन है। जैसे उत्तर भारतीय में कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के व्यंजन शामिल है | उत्तर भारतीय व्यंजनों पर मुगलई प्रभाव अधिक दिखाई देता है। इसलिए तरीवाली सब्जियों में दूध पनीर, घी, दही का प्रयोग खूब होता है | अदरक, लहसुन, लौंग, कालीमिर्च, दालचीनी, इलाइची, केसर, सूखे मुवे से बने व्यंजन इस थाली को शाही रूप देते हैं | तंदूरी खाना इस शैली की विशेषता है। चटपटे अचार और चटनियों के बिना यहाँ की थाली अधूरी है। दम आलू, तंदूरी चिकन, दलमखनी, छोले-भटूरे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी जगह बना चुके हैं। 

दक्षिण भारतीय में कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश आते हैं। लेकिन इनके व्यंजनों को पकाने की विधि में विविधता दिखाई देती है। चावल और नारियल का उत्पादन यहाँ खूब होता है। दक्षिण भारतीय तरीवाली सब्जियों में कसा हुआ नारियल या उसका दूध डाला जाता है।नारियल की चटनी भोजन का मुख्य अंग है। भोजन को सुगन्धित बनाने के लिये कड़ी-पत्ता, राई, सरसों के बीज, कालीमिर्च, दाल-चीनी, जीरा, जायफल, इलाइची, और गुलाबजल का प्रयोग होता है। यही उत्तर और दक्षिण भारतीय व्यंजन शैली में भी मुख्य अंतर है | 

जायके का सफर Zaike Ka Safar Gunjan Hindi Book
जायके का सफर

पूर्व भारतीय खाना में मिठाई प्रसिद्ध है, रसगुल्ला, चमचम, आदि मुख्य रूप से मिलता है। मछली यहाँ का नियमित भोजन का हिस्सा है। इसी तरह से पश्चिम भारतीय शैली में गुजराती, मराठी और गोवा के व्यंजनों का समावेश है। गुजराती थाली में मुख्य रूप से शाकाहारी व्यंजन होते हैं। नमकीन व्यंजनों में भी थोड़ी चीनी डाली जाती है । गुजरातियों में घर का बना अचार, खिचड़ी, छाछ मुख्य भोजन है। पश्चिम भारतीय राज्य में तापमान कभी-कभी 50 ℃ तक पहुँच जाता है। इसलिए शरीर को डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए खाना बनाने में, टमाटर नीबूं, चीनी आदि का प्रयोग अधिक होता है। गोवा में समुद्री भोजन अधिक पाया जाता है, इसलिए यहाँ शाकाहारी लोग भोजन में लहसुन-प्याज और मसाले का प्रयोग ना के बराबर करते हैं | 

व्यंजन शैलियों की इस विविधता में भी एकता का प्रमाण तब मिलता है जब उत्तर भारत के लोग इडली-डोसा को भी उसी चाव से खाते हैं जिस चाव से दक्षिण भारत के लोग दाल-रोटी खाते हैं। गुजराती खमण ढोकले का स्वाद पूर्व भारत के लोगों को जुबान पर भी बंगाली रसगुल्ले को चखने के लिए अब कोलकाता जाने की जरूरत नहीं,  अपने ही शहर में आप उसका रसास्वादन कर सकते हैं। भारतीय मिठाइयाँ तो पूरे इंग्लैंड, फ्रांस, संयुक्त राज्य में इतनी लोकप्रिय है कि इन्हें यूरोपियन और उत्तरी अमेरिकन व्यंजनों में भी शामिल कर लिया गया है। बंगाली रसगुल्ला, पायसम (खीर), श्रीखण्ड, मैसूर पाक, गुलाब जामुन, जलेबी, हलवा, कुल्फी आदि कुछ ऐसे ही मिठाइयाँ हैं, जिन्होंने सात समंदर पार लोगों के मुँह में ही नहीं बल्कि दिलों में मिठास घोल दी है। पिछले कुछ सालों में वैश्वीकरण के चलते भारत और अन्य देशों के लोगों का अंतरराष्ट्रीय आवागमन बढ़ा है । अब अनेक विदेशी व्यंजन भारतीय रूपांतरों के साथ लोगों को परोसे जाते हैं। देशी चाइनीज, आलू टिक्की बर्गर, हर्बल पास्ता के रूप में विदेशी खाने के चटपटे भारतीय संस्करणों की खुशबू से मुँह में पानी आ जाएगा। ब्रेड आज भारत के सभी घरों में नाश्ते के रूप में खाई जाती है। खाना-पान की इस मिश्रित संस्कृति का सकारात्मक पहलू यह है कि जब तक स्वाद की यह रास्ता जारी रहेगा तब तक समस्त पृथ्वी को परिवार की तरह मानने की भावना भी रहेगी। इस पाठ से पाठकों को भारतीय खान-पान और यहाँ की संस्कृति, सभ्यता और व्यंजनों में विविधता कि महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। यह लेख जायके की सफर को नया रास्ता प्रदान करती है, पाठकों तक अपने संस्कृति और सभ्यता को पहुँचाने का…|| 

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जायके का सफर पाठ के प्रश्न उत्तर

प्रश्न-1 भारतीय व्यंजनों की लोकप्रियता कैसे प्रकट होती है ? 

उत्तर- भारतीय भोजन यहाँ की परंपरा, सांस्कृतिक विविधता और अमृततुल्य स्वाद का बेजोड़ संगम है। यहाँ भोजन पकाने की अलग-अलग विधियाँ यहाँ की भोजन की थाली को विशिष्टता प्रदान करती है। अपनी इसी विशिष्टता के कारण भारतीय व्यंजन पूरी दुनिया में लोकप्रिय है | 

प्रश्न-2 विलियम को भेलपुरी बनाने की विधि का पता क्यों नहीं चला ? 

उत्तर- विलियम को भेलपुरी बनाने की विधि का पता इसलिए नहीं चला क्योंकि उस समय खाना बनाने की विधियाँ मौखिक रूप से ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाई जाती थी, इसलिए उसको बनाने की विधि लिखित रूप में उपलब्ध नहीं थी और यहाँ सभी घर में इसे अलग विधि और मसाले से बनाई जाती थी | 

प्रश्न-3 गुजराती व्यंजनों की क्या विशेषता है ? 

उत्तर- गुजराती थाली में मुख्य रूप से शाकाहारी व्यंजन होते हैं। नमकीन व्यंजनों में भी थोड़ी चीनी डाली जाती है । गुजरातियों में घर का बना अचार, खिचड़ी, छाछ मुख्य भोजन है | 

प्रश्न-4 किन राज्यों के व्यंजन उत्तर भारतीय शैली से पकाए जाते हैं ? 

उत्तर- कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमांचल प्रदेश, उत्तराखंड के व्यंजन उत्तर भारतीय शैली से पकाए जाते हैं | 

प्रश्न-5 पूर्व भारतीय खाना किसलिए प्रसिद्ध है ? 

उत्तर- पूर्व भारतीय खाना विशेष रूप से मिठाइयों, जैसे रसगुल्ला, चमचम, सन्देश आदि के लिए प्रसिद्ध है |  

प्रश्न-6 उत्तर और दक्षिण भारतीय व्यंजन शैली में अंतर स्प्ष्ट कीजिए | 

उत्तर- उत्तर भारतीय व्यंजनों पर मुगलई प्रभाव अधिक दिखाई देता है। इसलिए तरीवाली सब्जियों में दूध पनीर, घी, दही का प्रयोग खूब होता है | अदरक, लहसुन, लौंग, कालीमिर्च, दालचीनी, इलाइची, केसर, सूखे मुवे से बने व्यंजन इस थाली को शाही रूप देते हैं, तंदूरी खाना इस शैली की विशेषता है। 

दक्षिण भारतीय तरीवाली सब्जियों में कसा हुआ नारियल या उसका दूध डाला जाता है।नारियल की चटनी भोजन का मुख्य अंग है। भोजन को सुगन्धित बनाने के लिए कड़ी-पत्ता, राई, सरसों के बीज, कालीमिर्च, दाल-चीनी, जीरा, जायफल, इलाइची, और गुलाबजल का प्रयोग होता है। यही उत्तर और दक्षिण भारतीय व्यंजन शैली में अंतर मुख्य अंतर है।

प्रश्न-7 पश्चिम भारतीय खाने में टमाटर, नींबू, चीनी आदि का अधिक प्रयोग क्यों होता है ?

उत्तर- पश्चिम भारतीय राज्य में तापमान कभी-कभी 50 ℃ तक पहुँच जाता है। इसलिए शरीर को डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए खाना बनाने में , टमाटर नीबूं, चीनी आदि का प्रयोग अधिक होता है। 

प्रश्न-8 व्यंजन शैलियों की विविधता के बीच एकता का प्रमाण कब मिलता है ? 

उत्तर- व्यंजन शैलियों की इस विविधता में भी एकता का प्रमाण तब मिलता है जब उत्तर भारत के लोग इडली-डोसा को भी उसी चाव से खाते हैं जिस चाव से दक्षिण भारत के लोग दाल-रोटी खाते हैं। गुजराती खमण ढोकले का स्वाद पूर्व भारत के लोगों को जुबान पर भी बंगाली रसगुल्ले को चखने के लिए अब कोलकाता जाने की जरूरत नहीं अपने ही शहर में आप उसका रसास्वादन कर सकते हैं | 

प्रश्न-9 वैश्वीकरण का भोजन की थाली पर क्या प्रभाव पड़ा है ? 

उत्तर – वैश्वीकरण के चलते भारत और अन्य देशों के लोगों का अंतरराष्ट्रीय आवागमन बढ़ा हैं । अब अनेक विदेशी व्यंजन भारतीय रूपांतरों के साथ लोगों को परोसे जाते हैं। देशी चाइनीज, आलू टिक्की बर्गर, हर्बल पास्ता के रूप में विदेशी खाने के चटपटे भारतीय संस्करणों की खुशबू से मुँह में पानी आ जाएगा। ब्रेड आज भारत के सभी घरों में नाश्ते के रूप में खाई जाती है | 

प्रश्न-10 भारतीय मिठाइयाँ सात समंदर पार लोगों के दिलों में कैसे मिठास घोलती हैं ? 

उत्तर- भारतीय मिठाइयाँ तो पूरे इंग्लैंड, फ्रांस, संयुक्त राज्य में इतनी लोकप्रिय है कि इन्हें यूरोपियन और उत्तरी अमेरिकन व्यंजनों में भी शामिल कर लिया गया है। बंगाली रसगुल्ला, पायसम (खीर), श्रीखण्ड, मैसूर पाक, गुलाब जामुन, जलेबी, हलवा, कुल्फी आदि कुछ ऐसे ही मिठाइयाँ हैं, जिन्होंने सात समंदर पार लोगों के मुँह में ही नहीं बल्कि दिलों में मिठास घोल दी है | 

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प्रश्न-11 हिंदी में चार प्रकार के शब्द मिलते हैं — 

i.  तत्सम : जैसे – प्रथम,  राष्ट्र, भूमि, पुत्र आदि।

ii. तद्भव : जैसे – पिता (पितृ), रात(रात्रि), दाँत(दन्त) आदि।

iii.  देशज : जैसे – पेट, खाट, पगड़ी, ढूँढना आदि

iv.  विदेशी : जैसे –

   • पुर्तगाली से  – बालटी, आलू, प्याला आदि।

   • तुर्की से – तोप, कालीन , कैची आदि।

   • अंग्रेजी से- टिकट, स्कूल, ट्रेन, ड्राइवर आदि।

   • अरबी से – आदत, गरीब, जरूर आदि।

   • फारसी से – बाग, किताब, चाकू आदि।

• पाठ से छाँटकर पाँच तत्सम और पाँच देशज शब्द लिखिए — 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं – 

• तत्सम – अमृत,  संगम, विधि, व्यंजन,  भोजन
• देशज – चटपटा, थाली, भिंड, मौसमी, छाछ

प्रश्न-12 दिए गए वाक्यों से छाँटकर कारक – चिन्ह (परसर्ग) और उनके नाम लिखिए — 

(i.)नमकीन व्यंजनों में चीनी डाली जाती है ।

उत्तर-  • परसर्ग  – में
          • कारक – अधिकरण

(ii)भारतीय व्यंजनो पर मुगलई प्रभाव अधिक है।

उत्तर-  • परसर्ग  – पर 
          • कारक – अधिकरण

(iii)इमली भोजन को खट्टा स्वाद देती है।

उत्तर-  • परसर्ग  – को
          • कारक – कर्म कारक

(iv) ब्रिटिश सेना ने भारत में पैर पसारे।

उत्तर-  • परसर्ग – ने
          • कारक – कर्ता कारक

 (v)एक ही व्यंजन कई विधियों से बनाया जाता है।

उत्तर-  • परसर्ग – से
          • कारक – करण कारक

प्रश्न-13 इससे जुड़ी एक रोचक कहानी भी है।

चटपटे अचार और चटनियों के बिना तो उत्तर भारतीय थाली अधूरी ही है।

वाक्य में किसी पद को विशेष बल प्रदान करने वाले अव्यय शब्द निपात कहलाते हैं।

• इन निपातों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए — 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं – 

• तक – भारत के व्यंजन विदेशों तक प्रचलित हैं।
• मात्र – मुझे मात्र दो चीज़ पसंद है।
• भर – मेरा पेट भर गया।
• ही – खाना पहुँचाने मुझे ही जाना है। 

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Zaike Ka Safar Gunjan Hindi Book पाठ के शब्दार्थ 


अमृततुल्य – अमृत के समान
सप्ताहांत – सप्ताह के आखरी में
पर्याय – दूसरा नाम
रूपांतरों – रूप में विविधता
मुगलई – मुगल काल का
पाकविधि – खाना बनाने का तरीका
सुगंधित – खुशबूदार
समावेश – मेल-जोल
रसास्वादन – चखना, स्वाद लेना
वसुवैध कुटुंबकम् – समस्त पृथ्वी को परिवार की तरह मानना   | 

                        

© मनव्वर अशरफ़ी 

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