जाह्नवी कहानी की समीक्षा

जाह्नवी कहानी जैनेन्द्र कुमार 

जाह्नवी कहानी की समीक्षा जाह्नवी कहानी जैनेन्द्र जाह्नवी कहानी का सारांश जाह्नवी कहानी का उद्देश्य जाह्नवी की कहानी जैनेन्द्र कुमार Jainendra Kumar Jahnavi Hindi Story by Jainendra Kumar – जैनेन्द्र कुमार विचारक और बुद्धिवाले पहले हैं और कहानीकार पीछे। अपनी कहानियों में वे इसी रूप में अधिक सामने आते हैं। उन्होंने व्यक्ति की महत्ता स्वीकार की है और उसे व्यक्ति के रूप में ही प्रतिस्थापित करने का प्रयत्न किया है। वैयक्तिक स्थितियों का चित्रण करने में वे ब्राह्य से अंतस की ओर गतिशील होते हैं। उनके कार्य व्यापार स्थितियों का चित्रण करने में वे ब्राह्य से अंतस की ओर गतिशील होते हैं। उनके कार्य व्यापार का क्षेत्र प्रमुखतः व्यक्ति का अंतर्जगत है। उनकी कहानियों में व्यक्तिगत चरित्र ,व्यक्तिगत जीवन दर्शन तथा व्यक्तिगत मनोविज्ञान का प्रकाश होता है और वे सूक्ष्म से सूक्ष्मतर अभिव्यक्तियों के निरूपण के प्रति आग्रहशील रहते हैं। जाह्नवी कहानी में भी उक्त गुणों का सम्यक समावेश है – 

जाह्नवी कहानी का सारांश

जाह्नवी कहानी की समीक्षा

कथावस्तु की दृष्टि से विचार करने पर ज्ञात होता है कि जान्हवी कहानी में कथानक का हाश्र है। इसकी कथावस्तु इतनी छोटी ,नाममात्र की है तथा विचार पक्ष के बोझ से दबी हुई है। कहानीकार ने जाह्नवी के द्वारा कौओ को छत पर मनोयोगपूर्वक रोटी खिलाने और गीत गाने की घटना विशेष को मिलाकर कहानी का रूप दे दिया है और यह घटना जान्हवी की मनस्थितियों ,प्रतिक्रियाओं ,घात -प्रतिघातों एवं अवचेतन विज्ञप्तियों के साथ मिलकर इतनी फ़ैल जाती है कि वह घटना भी अस्पष्ट बन जाती है और फलस्वरूप जाह्नवी कहानी दुरूह ,जटिल एवं संश्लिष्ट बन जाती है। जाह्नवी का छत पर जाना ,कौवों को बुलाकर रोटी खिलाना ,गीत -गाना ,ब्रजनंदन को पत्र लिखकर विवाह न करने की अपील करना आदि छोटी -छोटी घटनाएं मिलकर एक हो जाती है और कौतुहल वृत्ति को बनाये रखे हुए कथावस्तु के शिल्प विधान में सहयोग देती हैं। 

जाह्नवी कहानी के प्रमुख पात्र

चरित्र चित्रण की दृष्टि से जाह्नवी एक विशिष्ट कहानी है। इसमें पात्रों की संख्या बहुत कम है क्योंकि कहानीकार की दृष्टि फैलने की नहीं ,गहरे उतरने की है। जान्हवी कहानी में मुख्य दो पात्र हैं – जाह्नवी और ब्रजनंदन। इसमें जाह्नवी का चरित्रांकन बहुत ही सूक्ष्म ,मार्मिक तथा मनोविश्लेषणात्मक हो पाया है। जाह्नवी के समस्त कार्य व्यापार तथा उसका सम्पूर्ण व्यवहार उसके चरित्र को असाधारणत्व प्रदान करता है ,साथ ही उसके चरित्र के एक अत्यंत कोमल तथा भावात्मकपक्ष को भी उजागर करता है। ब्रजनंदन का व्यक्तित्व और चरित्र जाह्नवी से अत्यधिक प्रभावित है। वह जाह्नवी के चारित्रिक गुणों – विनम्रता ,सादगी ,सहनशीलता ,सरलता ,स्पष्टवादिता ,धैर्य और मृदुता से इतना प्रभावित होता है कि स्वयं सादा रहने लगता है और आवश्यकता से अधिक बातें नहीं करता है। उसकी जीवनचर्या में आश्चर्यजनक परिवर्तन आ जाता है। संकेतों और कार्यों के द्वारा इन पात्रों की मानसिक प्रवृत्तियों का सूक्ष्म विश्लेषण हुआ है। 

कथोपकथन

कथोपकथन की दृष्टि से जाह्नवी एक सफल कहानी है। इसके संवाद चुस्त ,संक्षिप्त ,नाटकीय तथा पैने हैं। ये कथासूत्रों को ही नहीं जोड़ते ,अपितु कहानी को अंतिम बिंदु तक भी पहुँचाते हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि बिना कहानीकार के हस्तक्षेप के पात्रों के व्यक्तित्व के रहस्यात्मक सूत्रों का उद्घाटन भी करते हैं। उनकी संक्षिप्तता पर भावाभिव्यक्ति की समर्थता अनूठी है – 
“तुमने जान्हवी के बारे में क्यों नहीं बताया ?
मैंने कहा – जान्हवी के बारे में मैंने पहले से क्या नहीं बतलाया भाई ?
“यही कि वह ऐसी है ?”
मैंने पूछा – ऐसी कैसी ?
इन्होने कहा – “अब बनो मत ! जैसे तुम्हे कुछ नहीं मालूम। “
मैंने कहा – “अरे ! यह तो कोई हाईकोर्ट का जज भी नहीं कह सकता कि मुझे कुछ भी नहीं मालूम। आखिर जान्हवी के बारे में मुझे क्या मालूम है ,यह तो मालूम हो। “

देशकाल और वातावरण

देशकाल और वातावरण की दृष्टि से जाह्नवी कहानी की समीक्षा करने पर ज्ञात होता है कि कथावस्तु की तरह इसमें देशकाल और वातावरण का हाश्र लक्षित होता है। कहानी में व्यक्तिगत चरित्र ,व्यक्तिगत जीवन दर्शन और व्यतिगत मनोविज्ञान का प्रकाशन होने के कारण देशकाल और वातावरण के अंकन को महत्व नहीं मिला है। 

जाह्नवी कहानी की भाषा शैली

भाषा शैली की दृष्टि से जाह्नवी एक समृद्ध कहानी है। इस कहानी में वाक्य छोटे -छोटे हैं और बहुधा वाक्य -विन्यास सायास ढंग से बिगाड़ कर प्रस्तुत किये गए हैं। स्थानीय शब्दों ,बोलचाल की भाषा एवं मुहावरों के प्रयोग के फलस्वरूप इसकी भाषा बड़ी समर्थ ,चित्रोपम एवं सजीव बन पड़ी है। इस प्रकार की भाषा को मनोवैज्ञानिक भाषा की संज्ञा दी गयी है। जाह्नवी कहानी की रचना आत्मकथात्मक शैली में हैं और इसके माध्यम से कहानीकार ने जान्हवी तथा ब्रजनंदन का मनोविश्लेषण बड़ी मार्मिकता से किया है। 

जाह्नवी कहानी का उद्देश्य

उद्देश्य की दृष्टि से जाह्नवी कहानी की समीक्षा करने पर ज्ञात होता है कि जाह्नवी कहानी में कहानीकार का उद्देश्य ,जान्हवी के माध्यम से नारी मनोविज्ञान का निरूपण करना है। प्रस्तुत कहानी में उन्होंने अपने अनुभव और मनोविश्लेषण के द्वारा प्रेम की स्थितियां अंकित की हैं। जाह्नवी एक भावुक नारी का प्रतिक है ,जो अंतर्मुखी हैं। उसकी पीड़ा का कारण प्रेम का कटु अनुभव है। दुःख की चरमसीमा पर पहुँचकर वह जीवित रहने की किंचित इच्छा नहीं रखती। उसके मन की मात्र एक आकांक्षा है – पिऊ मिलन की आस। जीवन के अंतिम क्षणों में शायद प्रिय मिलन की आशा पूरी हो जाए ,वह इस बात की आशा और विश्वास संजोये हुए हैं। संक्षेप में जाह्नवी कहानी का उद्देश्य है – जान्हवी की मनोभूमि का उद्घाटन करते हुए उसकी साधारण सी क्रियाओं के मूल में अन्तर्निहित गहन मानसिक प्रक्रिया को प्रकाशित कर उनसे पाठकों को परिचित कराना। 

जाह्नवी एक आदर्श भारतीय नारी है। अतः उसके व्यक्तित्व तथा चरित्र में भारतीय नारी के अनेक पहलु – सरलता ,विनम्रता ,सहनशीलता ,स्पष्टवादिता ,धैर्य ,आत्मसंतोष ,भावप्रवणता ,संघर्षशीलता ,प्रेम के प्रति आस्था तथा दृढ़ता एवं आस्तित्व के प्रति सजगता विद्यमान है। प्रेमिका के रूप में जाह्नवी भारतीय नारी के उस आदर्श प्रेमपूर्ण पक्ष को उजागर करती हैं जिसके अंतर्गत उसका प्रेम सच्चा और दृढ़ होता है। भारतीय नारी के जीवन में जो पहला पुरुष अपना स्थान बना लेता है ,वही उसका सर्वस्व होता है और वह उसी के लिए जीती -मरती है। जाह्नवी भी अपने प्रेमी के प्रति आस्थावान रहती हैं। दूसरों की निगाह में जान्हवी भले ही कुल्टा और कलंकनी हो ,पर ब्रजनंदन उसके प्रति श्रद्धा और सहानुभूति रखता है क्योंकि उसका एकनिष्ठ प्रेम अपने प्रथम दर्शन के प्रेमी के प्रति दृढ़ ,आस्थावान तथा दूरागत आशा का संदेशवाहक है। वह जिस धैर्य से कौवों को रोटी खिलाती हैं ,जिस प्रगाढ़ आस्था के साथ प्रेमी की प्रतीक्षा करती हैं तथा जिस सहनशीलता के साथ सामाजिक कलंक को बर्दास्त करती हैं ,भारतीय नारी के आदर्श का प्रतिक ही माना जाएगा। 

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