तुम कौन सी पाटी पढ़े हौ

तुम कौन सी पाटी पढ़े हौ


अति सूधो सनेह को मारग है, जहँ नेकु सयानप बाँक नहीं

घनानंद
घनानंद 

तहँ सीधे चलौ तजि आपनपौ, झिझकैं कपटी जो निशाँक नहीं .
घननंद के प्यारे सुजान सुनौ, यहँ एक ते दूसरो आँक नहीं
तुम कौन सी पाटी पढ़े हौ कहौ, मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं .


– घनानंद 

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