तुम कौन सी पाटी पढ़े हौ
अति सूधो सनेह को मारग है, जहँ नेकु सयानप बाँक नहीं
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घनानंद |
तहँ सीधे चलौ तजि आपनपौ, झिझकैं कपटी जो निशाँक नहीं .
घननंद के प्यारे सुजान सुनौ, यहँ एक ते दूसरो आँक नहीं
तुम कौन सी पाटी पढ़े हौ कहौ, मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं .
– घनानंद