सैनिक है जिसका नाम

सैनिक

मातृभूमि जिसकी है सांस ।
देश के लिए वो देह को भी दे त्याग ।
नहीं वो खोखला सहनशील जैसे की बांस ।
वह तो है अक्षुण्ण जिसका प्रबल है भाग्य ।

अथाह जिजीविषा का नहीं है ख्वाब ।
अपने साहस ,
पराक्रम और ओज से करे दुश्मनों का सर्वनाश ।

सैनिक

नहीं है वो सुपाच्य ,
वह तो है गरिष्ठ जिसका दुश्मनों के पास नहीं है जवाब ।
साहस है जिसका अग्रज और असहिष्णु है
जिसका अनुज इसलिए वह है हम सबसे खास ।

सैनिक है जिसका नाम जो बनाएं रखे मातृभूमि का सम्मान ।। ३

आतंकवाद का जो है काल ।
सुनकर मातृभूमि की पुकार ।
नोच लेगा वह एक एक दुश्मनों की खाल ।

देश की सुरक्षा है जिसका परमोधर्म ।
राष्ट्र ही उसके वालिदैन , राष्ट्र ही उसका राम ।
उसका धर्म सिर्फ उसका कर्म ।
राष्ट्र ही उसकी अयोध्या और राष्ट्र ही उसके चारों धाम ।

सैनिक है जिसका नाम जो बनाएं रखे मातृभूमि का सम्मान ।। ३

– मयंक पटेल 
देवास, मध्य प्रदेश 

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