थोक के भाव बेंच दिये जायेंगें तुम्हारे सच

थोक के भाव बेंच दिये जायेंगें तुम्हारे सच


इतिहास से सच्चाई के पन्नें
फाड़ दिये जायेंगें,
उखाड़ दिये जायेंगें आंदोलन के पाँव,
खींच ली जायेंगी विरोधी आवाजों की साँसे,
जला दी जायेंगी वो सभी झोपड़ियाँ
जिसमें पनप रहा है विद्रोह,

हर्षिका गंगवार
हर्षिका गंगवार

निगल लिये जायेगें सभी जहरीले दस्तावेज
ठीक वैसे ही
जैसे निकल लेता है कोबरा
जहरीले सांपों को।

दफऩ कर दिये जायेंगें
जिंदा होने के सभी जीवित सबूत,
या कहीं,
थोक के भाव बेंच दिये जायेगें तुम्हारे सच
और झूठ…
बाजार में चाँदी हो जायेगा।

या जैसे बांध देते हैं पशुओं को तबेले में
बिल्कुल ऐसे ही
कैद कर दी जायेंगी सभी स्त्रियाँ
ऊँची ऊँची दीवारो के बीच,
या झोंक दिये जायेंगें उनके तेवर
बदले की आग में,
या शायद सरकारी चूड़ियाँ पहनाकर
डाल दिया जायेगा उन्हें,
तुम्हारे कोठे पर,
जहाँ कठपुतियाँ तुम्हारे ही इशारों पर
बिल्कुल खामोशी से
बेबसी के घुँघरू बाँध कर
नंगे पाँव नाच किया करती हैं।



– हर्षिका गंगवार
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय

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