थोड़ी थोड़ी पिया करो

थोड़ी थोड़ी पिया करो

दो पल की ज़िन्दगी खुश होके ज़िया करो
होश गवां बैठो इतनी भी मत पीया करो 
माना कि अक्ल घास चरने गई जंगल में
मुफ्त की है तो क्या थोड़ा-थोड़ा पीया करो
थोड़ी थोड़ी पिया करो

यारों की महफिल में यारों से क्या शर्माना

किसने मना किया जाम भर-भर पीया करो
इतना भी क्या पीना कि नाले में पड़े मिलो
अंग्रेज़ी मिल रही है तो ठर्रा मत पीया करो
उधारी का तकाजा लेकर देखो कौन आया
कितनी बार समझाया उधार मत पीया करो
जब जी चाहे तब पीया करो किसने है रोका
बस जब जेब खाली हो तब ना पीया करो
ऐसा तजुर्बा भी क्या अक्ल काम ना करे
इसीलिए कहता हूँ कभी-कभी पीया करो
ऐसा भी क्या पीना घर का पता याद नहीं
जितनी औकात हो बस उतनी पीया करो
दो बूंद गले क्या उतरी लगे मूंह बिचकाने
कड़वी तो होगी मुफ्त की मत पीया करो
पीने से पहले घर का पता जेब में रखना
कहीं और पड़े मिलो कच्ची मत पीया करो
सुना है पीने के बाद ख़ुद से लगे बतियाने
जब हालत ऐसी हो थोड़ा और पीया करो


– डॉ .एकांत नेगी 

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