खजूर पेड़ उदास खड़े रोते

खजूर पेड़ उदास खड़े रोते



खजूर पेड़

उदास खड़े रोते

संगी ना साथी .

 
2

बेर बुलाते

काँटा पैर चुभाने

जीभ चटोरी.
 

3

वट की छाँव

देखा सबके गाँव

बच्चों का झूला.

 

4

बाज़ की दृष्टि

चूजे डैनों में छिपे

माँ ही बचाती.

 

5

बड़ी मायावी  

बरगद की छाया

डरती दूर्वा.
 

6

पहाड़ी दिन

धूप के बच्चे खेले

फूल चुनते.
 

7

खजूर पेड़ उदास खड़े रोते

शीत मोहिनी

धूप तापने आती

ड्योढ़ी–अँगना.
 

8

धूप सेंकते

सुख–दुःख की बातें 

गली–मोहल्ले.
 

9

धूप–कोहरा

खेलें आँख मिचौली

शीत की सखी.

 

10

पुस ने जने

कोहरा,पाला,शीत

दाँतों के गीत.

 

11

जग सिकुड़ा

झीलों में बर्फ जमी

भूख गर्म है.

 
12

गाजर – मूली

शीत का स्वाद चखें

गोभी सेम में.

 
13

प्यार की गर्मी,

बर्फ़बारी ना रोके

युवा रोमांच.

 
14

धूप ले उड़े

घोंघे–सीप के घर

पोखर सूखे.

 
15

धूप हाँफती

भोर से सीढ़ी चढ़े

लाल से पीली.

 
16

शिकंजी पीने

जेठ – बैशाख आते

प्याऊ में खड़े.

…..     …..

 

–  रमेश कुमार सोनी

कबीर नगर-रायपुर,छत्तीसगढ़


9424220209/7049355476

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