देशभक्त जस्सा सिंह अहलूवालिया कलाल गुरु के लाल थे

देशभक्त जस्सासिंह अहलूवालिया कलाल गुरु के लाल थे

पूरथला रियासत के संस्थापक देशभक्त युद्धवीर
जस्सा सिंह अहलूवालिया कलाल गुरु के लाल थे!
गुरु गोबिंदसिंह सोढ़ी के शिष्य भक्त महाकाल के,
कलचुरी हैहयराजवंशी क्षत्रिय वीरता के मिसाल थे!
जिनसे फारसी व अफगानी आक्रांता नादिरशाह के
सेनापति अहमदशाह अब्दाली दुर्रानी भी घायल थे!
देशभक्त जस्सासिंह अहलूवालिया कलाल गुरु के लाल थे

जस्सासिंह गुरु गोबिंद के सिख खालसा राज्य के

सर्वोच्च कमांडर काल के काल वे महा कलाल थे!
वे दिल्ली-मथुरा-आगरा लुटेरा दुर्रानी सा काल के
घमंड को चूर-चूर करनेवाले कलचुरी विकराल थे!
उन्होंने सत्रह सौ तिरेपन में बाईस सौ बलात्कृत
हिन्दू बाला को मुक्त किए अब्दाली के जाल से!
वे मुक्तिदाता,सत्रह सौ इकसठ के लाहौर विजेता,
सत्रह सौ बासठ में होलोकास्ट युद्ध के कराल थे!
सत्रह सौ चौंसठ में खालसा के सरहिंद विजय से,
पंजाब मुक्त हुआ था गुलामी के सैकड़ों साल से!
ये फतह न्योछावर गुरु गोबिंदसिंह के दोनों शहीद
साहबजादे फतेहसिंह व जोरावरसिंह के इंतकाल पे!
जस्सासिंह जन्मे थे लाहौर पंजाब के अहलू गांव में,
बदरसिंह कलाल पुत्र तीन मई अठारह सौ काल में!
ये वो घड़ी थी जब गुरु गोबिंद खालसा पंथ गढ़कर,
सात अक्तूबर सत्रह सौ आठ में ब्रह्मलीन अकाल में!
ये वो दुर्दिन आने को था जब अहमदशाह दुर्रानी के
छापामार काफिले देश को डालने वाले थे बदहाल में!
क्रूर अब्दाली के सत्रह सौ अडतालीस से सड़सठ बीच
आठ आक्रमण से उत्तर भारत कत्लेआम से बेहाल थे!
अब्दाली ने वीर जाटों को मार-काट नागा साधुओं को
कूटकाट दिल्ली को महीना भर खून से किए लाल थे!
मगर गुरु गोबिंद के सच्चे सिख कलाल जस्सासिंह के
रस्साकसी से हारा अब्दाली भागा डरके इस बेताल से!
जस्सासिंह ने सत्रह सौ बासठ में विजित कपूरथला में
अहलूवालिया रियासत की नींव डाली मुगल निकाल के!
जस्सासिंह सुल्तान-उल-कौम महाराजा खालसा कौम के,
सत्रह सौ तिरासी में विजय पाया दिल्ली किला लाल पे!
वे तख्त-ए-दीवान-आम हिन्दुस्तानी सिंहासन पर विराजे,
अब्दाली के हमले से स्वर्णमंदिर की महिमा बहाल किए!
राजपूताना में कहावत है ‘काल टल ज्यावे पण कलाल
कोनि टले’ काल या मृत्यु टल जाए पर कलाल न टले! 
ऐसे जस्सासिंह कलाल थे जिनके वीर वंशज बाघ सिंह,
फतेहसिंह-निहालसिंह-रणधीरसिंह-खड्गसिंह-जगजीतसिंह,
सत्रह सौ अठारह से उन्नीस सौ उनचास तक राज किए,
पंजाब के कपूरथला अहलूवालिया रियासत कल्यपाल के!
अहलूवालिया कोई जाति नहीं अहलूगांव निवासी होने से,
जस्सासिंह कलाल कलचुरी क्षत्रिय ने ये उपाधिवरण की!
अहलूवालिया कलाल पंजाब से राजपूताने शेखावटी क्षेत्र;
जयपुर सांभर बीकानेर रियासत के चोबदार कहलाते थे!
वे सोने-चांदी की छड़ी धारण करते सहस्त्रार्जुनी हिंदू-सिख 
जो त्रिपुरी जबलपुर पंजाब हरियाणा संयुक्त प्रांत में फैले!

– विनय कुमार विनायक
दुमका, झारखंड-814101

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