नये अल्फाज

नये अल्फाज

कागज के फूलों पर हम एतबार नहीं करेंगे।
जिस्म का सौदा जब तक पक्का ना हो, प्यार नहीं करेंगे।
और जो कहते हैं एक दिन भी ना रह पाएंगे मेरे बगैर
हमसे बेहतर हो कोई तो एक दिन भी इंतजार नहीं करेंगे।

2)       

नये अल्फाज

जाहिर है कि कभी
     जाहिर ना हो पाएगी इबादत मेरी
        ये और बात है कि
     वो खुदा बन गये मेरे इंतज़ार में

3)        ना मालूम ‌वक्त का तकाजा क्या था
      दिल में छुपा वो इरादा क्या था
      हमें झूठी कसमों की दुहाई देने वाले
      तुझको याद भी है कि वादा क्या था
4)  मुझे देख वो कभी इधर गये कभी उधर गये
    अभी तो दिल में बैठे थे जाने किधर गये
     बदलती हवाओं का रुख  पहचान लिया उसने
    कभी बदनाम थे अब शायद सुधर गये

5) आरज़ू है जुस्तजू है इश्क है महजबीं है
     फिर भी लगता है कहीं कुछ तो कमीं है
     धड़कने सुनाई नहीं देती रिश्तों के आशियानों में

     ख्वाहिशों की दीवारों पर जरूरतों की नमीं है





– देवेश सिंह 

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