हमारे जो पुरखे थे वही तुम्हारे पुरखे थे

हमारे जो पुरखे थे वही तुम्हारे पुरखे थे

मारे पूर्वज एक थे तुम्हारे पूर्वज एक थे,
हम हिन्दू रह गए तुम मुसलमान हो गए! 
हम हजारों वर्षों की अक्षुण्ण परम्परा के,
तुम अपना छोड़ विदेशी धर्म में ढल गए!
हमारे जो पुरखे थे वही तुम्हारे पुरखे थे, 
हम पुरखों को मानते तुम वंश भूल गए!
जिसने मजबूर किया तुम्हें धर्म बदलने,
उनके ही राह पर तुम आज लगे चलने!
अपनी भाषा रहन सहन तुमने छोड़ दिए,
हमारे जो पुरखे थे वही तुम्हारे पुरखे थे

अपने भाई बंधु से तुमने मुख मोड़ लिए!

अताताई आक्रांता तुम्हारे अपने हो गए,
अपनों से दुश्मनी ठानकर पराए हो गए!
तुम्हारी बदल गई भाषा और लिबास भी,
तुम्हारी शिक्षा भी अब होने लगी मजहबी!
तुम्हारा धर्मग्रंथ वेद उपनिषद पुराण नहीं,
तुम्हें अच्छा लगने लगा हदीस कुरान ही!
मदरसा की तालीम से तालिबान बनता है,
पर विज्ञान की पढ़ाई से विद्वान बनता है!
शिक्षा वही है अच्छी जो इंसान बना देती,
मजहबी शिक्षा सिर्फ मुसलमान बना देती!
न हिन्दू बनो तुम न मुसलमान बनो तुम,
मनु श्रद्धा की संतान हो इंसान बनो तुम!
कुरान की अच्छाई लो, वेद की गहराई लो,
विज्ञान से ऊंचाई लो एक पूर्ण इंसान बनो!
– विनय कुमार विनायक,
दुमका, झारखण्ड-814101.

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