इतिहास के साथ शरारत ना कीजिए
इतिहास के साथ शरारत ना कीजिए,
झूठ की ग़लत हिफ़ाज़त ना कीजिए।
हालात देखिए दोनों आंख खोल कर,
नींद में रह कर सियासत ना कीजिए।
तरक्क़ी मिले ना मिले, अलग बात है,
लाशों की कभी तिजारत ना कीजिए।
सिंहासन छोड़ कर हूं, पट्टिकाओं पर,
नाम हटाने की हिमाक़त ना कीजिए।
ज़िन्दगी बिताओ सच की अंगनाई में,
पापियों के साथ रियायत ना कीजिए।
सत्यवीर हो अगर लौटा दो मेरे महल,
तुम अमानत में ख़यानत ना कीजिए।
ज़िन्दगी सलामत है इससे ग़रीबों की,
रोटियां मुल्क में नियामत ना कीजिए।
रखते हैं इनसे सांसों की डोर बांधकर,
ग़रीबों के ख़्वाब हिरासत ना कीजिए।
जन्नत की पहली सनद है वतनपरस्ती,
मुल्क से कोई भी बग़ावत ना कीजिए।
माना कि क़ानून तोड़ना गुनाह है मगर,
मासूम रास्तों को अदालत ना कीजिए।
सारी ज़िन्दगी मेरी शोलों में बदल जाए,
नफ़रत की इतनी क़यामत ना कीजिए।
मैं पैदा यहां हुआ हूं मरूंगा भी यही पर,
मेरा देश मेरे लिए विलायत ना कीजिए।
मुश्किल से मिल कर एक छत बनाई है,
दिल में फासलों की हरारत ना कीजिए।
चेहरे पर चली आए दानवों की फ़ितरत,
लहज़े में ऐसी भी नज़ाकत ना कीजिए।
जेल भी तक़ती हैं राहें भ्रष्टाचारियों की,
ज़फ़र उनपर नज़रे इनायत ना कीजिए।