फीचर लेखन की विशेषताएं
फीचर लेखन की विशेषताएं, किसी अच्छे फीचर की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्न होती है-
- फीचर का आरंभ रोचक होना चाहिए न कि नीरस, उबाऊ, क्लिष्ट और व्यर्थ की अलंकृत शब्दावली से भरा।
- हृदय पक्ष से जुड़ा होने के कारण इसमें भाषागत सौंदर्य और लालित्य का विशेष स्थान है।
- फीचर में अनावश्यक विस्तार से बचा जाना चाहिए। गागर में सागर भरना फीचर की अपनी कलात्मकता होती है।
- काव्य का सा आनंद देनवाले फीचर श्रेष्ठ फीचर हो सकते हैं।
- फीचर में प्रयुक्त कल्पनाएं सटीक और सारगर्भित हो।
- अपने विषय के सभी संबंधित पहलुओं को छूता चलता है। लेकिन विषयों का संतुलित वर्णन आवश्यक है।
फीचर लेखन के तत्व
फीचर और उसकी प्रमुख विशेषताओं को जानने के बाद इतना तो स्पष्ट हो ही जाता है कि फीचर लेखन भी पत्रकारिता क्षेत्र में अपनी तरह का एक विशिष्ट लेखन है, जिसके लिए प्रतिभा, अनुभव और परिश्रम की विशेष आवश्कता होती है।
फीचर की विशिष्टता और उत्कृष्टता के लिए लेखक का उसकी भाषा पर पूर्ण अधिकार होना चाहिए ताकि वह छोटे वाक्यों और कम शब्दों में लालित्यपूर्ण चमत्कार और सहजता बनाए रख सके। फीचर लेखक के पास कवि सा भावुक हृदय, समीक्षक का सा प्रौढ़ चिंतन, इतिहासकार सा इतिहास बोध, वैज्ञानिक की सी तार्तिकता, समाजशास्त्री सा समाजबोध तथा भविष्य को परखने की क्षमता होनी चाहिए।
फीचर लेखक को अपने परिवेश के प्रति पर्याप्त सजग होना चाहिए और उसके पास एक ऐसी सूक्ष्म दृश्टि होनी चाहिए जो आसपास के विविध विषयो को फीचर का विषय बनाने की प्रेरणा दे सके।
फीचर के प्रकार
फीचर लेखन के कितने प्रकार है, विषयागत विविधता को देखते फीचर के कई प्रकार हो सकते हैं-
1. व्यक्तिगत फीचर
2. समाचार फीचर
3. त्यौहार पर्व संबंधी फीचर
4. रेडियो फीचर
5. विज्ञान फीचर
6. चित्रात्मक फीचर
7. व्यंग्य फीचर
8. यात्रा फीचर
9. ऐतिहासिक फीचर
लेख और फीचर में अंतर
लेख और फीचर दोनों का समाचार के साथ कोई संबंध नहीं है फिर भी दोनों समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं में अपनी अपनी एक जगह है। दोनों की सुंदरता सुंदर गद्य शैली पर निर्भर है, लेकिन कुछ खास किस्म का अंतर होता है। इस अंतर को समझना लेख और फीचर दोनों को समझने के अत्यतं जरूरी है। किताबी ज्ञान और आंकड़ों की सजावट से लेख लिखा जा सकता है लेकिन फीचर लिखने के लिए आँख-कान, भावो- अनुभूितयो, मनोवेगों और अन्वेषण का सहारा लिया जा सकता है। लेख लंबा, अरुचिकर और भारी भी हो सकता है, लेकिन फीचर में यह सब नहीं चलेगा। फीचर को मजेदार रुचिकर और चित्ताकर्षक होना ही पड़गे ा।
लेख हमें शिक्षा देता है, जबकि फीचर हमारा सात्विक किस्म का मनोरंजन करता है। लेख आवश्यकता से अधिक छोटा तथा पढ़ने में उबाऊ होने पर भी अच्छा हो सकता है, लेकिन फीचर मुख्य रूप से आनंद और विनोद के लिए होता है। लेख जानकारी बढ़ाने वाला होता है और उसमें दिलचस्प या उससे निकलनेवाले नतीजों का समावेश किया जा सकता है, जबकि फीचर में अपनी मनोवृत्ति और समझ के अनुसार किसी विषय या व्यक्ति विशेष का चित्रण करना पड़ता है।