मुझे पूरी तरह से यकीन है कि हर बच्चा राम होते
मुझे पूरी तरह से यकीन है कि हर बच्चा राम होते,
बशर्ते कि बच्चे को परवरिश मिले अच्छे इंसान की,
मुझे तनिक भी भ्रम नहीं है कि पाहन भगवान होते,
बशर्ते कि उसे संग मिले गोवर्धनधारी घनश्याम की!
पत्थर आदिकाल से अन्न को पीसकर भोज्य बनाते,
कि पाषाण उपयोगी है बशर्ते ढेला न बने शैतान की,
मन में हो यदि श्रद्धा भक्ति, किसी ईश्वर के प्रति,
तो रब प्रकटित होते खंभ से सुन पुकार प्रहलाद की!
पहाड़ इन्सानों का प्राकृतिक बसोवास परवरिश भूमि,
पहाड़ है सुरक्षित शरणस्थली पहाड़िया जनजाति की,
पहाड़-पर्वत स्वर्ग से सुन्दर वनवासियों की गृहस्थी,
पहाड़-पर्वत सृष्टि के आरंभ से ही है पूज्य ईश्वरीय!
पर्वत गुफाओं में आदिमानव उकेरते थे मूर्ति आकृति,
तब से प्रथा चल पड़ी है प्रकृति पूजा और बुतपरस्ती,
मानव व जीव जंतु भी तो ईश्वर के बनाए बुत ठहरे
ऐसे में रब है बुतपरस्त तुम बुत से घृणा क्यों करते?
आस्था निवास करती है भोले-भाले मन मस्तिष्क में,
आस्था दिखावे की चीज है क्रूर मिजाज आस्तिक में,
सद्आस्था में सर्व कल्याण की भावना होती बलवती,
धर्म के प्रति आस्थावान प्राणी होता है मानवतावादी!
कंकड़-पत्थर से बने मंदिर मस्जिद में रहते हैं ईश्वर,
कंकड़-पत्थर से बने होते हैं इंसानों का घर व दफ्तर,
संगतराश के तराशे गए कंकड़-पत्थर ही भगवान होते,
इंसान को तराशो इंसान की तरह इंसान ही राम होते!
– विनय कुमार विनायक,
दुमका, झारखंड-814101