मंजिल पाने तक चल

मंजिल पाने तक चल  

मंजिल को पाने तक चल।
उद्देश्यों को लक्ष्य कर चल।।
लक्ष्य पर संभल कर चल।

मंजिल

मंजिल अपनी देखकर चल।।
कदम बढाकर आगे चल।
पाने की परवाह ना कर।।
चलते चलो अकेला पग।
टिका कर्र्मो पर  सारा जग।।
आलस का चोला कर भंग।
दुनियाँ होगी तुम पर दंग।।
डरो असफलता पर ना तू।
सफलता का असफ़लता गुरु।।
सफल वही होता जंग।
कडी मेहनत लाती रंग।।
सोच विचार कर पाँव बढाओ।
चलने को गुरु मंत्र बताओ।।
सफलता को साँस बना लो।
असफ़लता की जाँच करा लो।।
मंज़िल को पाने तक चल।
अर्जुन सा लक्ष्य कर चल।।


– सुखमंगल सिंह 

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