प्रणमामि माँ शारदे
वीणापाणी तम हरो ,दिव्य ज्ञान आधार।
धवल वसन सुरमोदनी ,हर लो सभी विकार।
ज्ञान शून्य जीवन हुआ ,मन में भरे विकार।
माँ सरस्वती |
माँ अब ऐसा ज्ञान दो ,विमल बने आचार।
ज्ञान सुधा से तृप्त कर ,कलम विराजो आप।
शब्द सृजन के पुष्प से ,करूँ तुम्हारा जाप।
जयति जयति माँ शारदे ,आए तेरे द्वार।
सृजन शक्ति मुझको मिले ,प्रेम पुंज व्यवहार।
मधुर मनोहर काव्य दे ,गद्य गहन गंभीर।
छंदों का आनंद दे ,तुक ,लय तान ,प्रवीर।
उर में करुणा भाव हों ,मन में मलय तरंग।
बासंती जीवन खिले ,मृदुल मधुर रसरंग।
वाग्दायिनी ज्ञान दो ,मन को करो निशंक।
प्रणत नमन माँ सरस्वती ,शतदल शोभित अंक।
शुक्लवर्ण श्वेताम्बरी ,वीणावादित रूप।
शतरूपा पद्मासना,वाणी वेद स्वरूप।
हाथ में स्फटिकमालिका,धवल वर्ण गुण नाम।
श्वेत वसन कमलासना ,बसो आन उर धाम।