मानव यह भव बंधन है

मानव यह भव बंधन है

मानव यह भव बंधन है,
जितनी खुशी बिखरी है!
उतना दुःख का क्रंदन है,
मानव यह भव बंधन है!

मानव यह भव बंधन है

यह धरती मृत्यु लोक है,
कभी खुशी कभी गम है,
मनोनुकूल नहीं चयन है
मानव यह भव बंधन है!

यहां तिनके, तिनके तक,
गिने गुथे मनके जैसे हैं!
जैविक सृष्टि ना मन है,
मानव यह भव बंधन है!

एकाधिकार ना जीवन है,
जीना मरना ईश संग है,
यह अनोखा अवतरण है!
मानव यह भव बंधन है!

मानव यह अभिनंदन है,
मातृ भूमि ही चन्दन है,
स्वर्ग किसने देखा यहां,
मानव यह भव बंधन है


– विनय कुमार विनायक

दुमका, झारखण्ड-814101

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