तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ माँ

तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ माँ

आज बहुत दिनों बाद तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ माँ,
याद है तुम्हें, जब मैं नन्ही-सी गुड़िया बनकर तुम्हारे घर आई थी,
तब तुम मुझे एक पल के लिए भी अकेले नहीं छोड़ती थी।
तुम्हें याद है ना माँ?
माँतो फिर अब क्यूँ? 
मुझे किसी ओर को ब्याह कर अकेला छोड़ रही हो माँ।
अभी मुझे मत ब्याहो माँ।
के अभी मुझे ऊँचा उठना है,
अपने सपनो को पूरा करना है।
इस समाज को बदलना है माँ , 
जहाँ सदैव एक स्त्री को दबाया जाता है।
क्या तुम नहीं चाहती कि,
ये समाज एक स्त्री का आदर करना सीखे।
अगर आज तुमने मुझे ब्याह दिया,
तो कोई स्त्री आगे नहीं बढ़ पायेगी,
और यह रूढ़िवादी सोच हर स्त्री का हरण करती रहेगी माँ।
तुम इनके बहकावे में न आओ माँ।
मुझे तुम्हारे साथ की जरूरत है माँ ।
मेरा साथ ना छोड़ो।
वरना ये रित यूँही चलती रहेंगी।
माँ मुझे ऊँचा उड़ने दो,
अपना अधिकार पा लेने दो,
अपने सपने पूरे कर लेने दो माँ।
के मुझे वक्त को बदलना है माँ,
आसमान की बुलंदियो को छूना है माँ।
खुशियाँ लेकर आनी है माँ ,
मेरे तुम्हारे सबके लिए।
तुम मेरा साथ दोगी ना माँ, 
बोलो! दोगी ना मेरा साथ?


– विमला सोलंकी

You May Also Like