बच्चों के जीवन का सार पिता

बच्चों के जीवन का सार पिता

      मेरा मान है पिता , मेरा अभिमान है पिता 
      मेरा संबल , मेरी शक्ति मेरी अभिव्यक्ति है पिता 
      मेरा जीवन पिता से , मेरी पहचान पिता से , 
      मेरा सम्मान पिता से , मेरा स्वाभिमान पिता से 
  
         माना कि जन्नत माँ के क़दमों में है 
         किन्तु उस जन्नत का दरवाजा है पिता 
         बच्चों के जीवन का  सार पिता 
         समाज में जीने का अधिकार पिता 
पिता
पिता
        जिसकी उंगली पकड़ कर चलना सीखा हमने 
       उस पिता के सान्निध्य में खुला आसमान देखा हमने
       पिता का प्रेम कभी मीठा तो कभी खारा
       पिता की प्रेरणा ही तो हमारे जीवन का सहारा 
      कहते है बिन मां के यह जीवन जीवन नहीं
      परन्तु यह भी सत्य है पिता बिन जीवन सार्थक नहीं
         पिता से ही बच्चे का पालन – पोषण है 
        पिता ही परिवार का अनुशासन है 
       पिता की छाव में देखे हमने ढेरों सपने
      पिता है तो समस्त संसार के खिलोने अपने
       पिता हे ही बेटी का अपना संसार है
        पिता से ही मां की बिन्दी व सुहाग है 
       पिता से ही बेटी की धड़कन आबाद है 
       पिता से ही नन्हीं परियां आजाद हैं
         पिता शब्द में ही संसार है 
        पिता से ही मिलती यह जीवन रूपी काया है
       पिता ही इस जहां का चमन है 
       पिता से ही बेटी के जीवन में शांति अमन है 
                               

– चंचल महावर 
          शैक्षणिक योग्यता – बी.एस. टी.सी, बी.ए , बी.एड
                गांव – पीपलदा, तह – बोली 
                जिला  – सवाई माधोपुर  ( राजस्थान )

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