कभी आंसू है आँखों में
कभी दिल में है हलचल
कभी ओठों पे खामोशी
कभी मन में कोलाहल
कभी क्रोध है भरा
कभी खिन्न है मिजाज़
आक्रोश है कभी
कभी दबी हुई आवाज़
सब कुछ भरा है मेरे हाव भाव में
ललाट लाल है मेरे तनाव में
मैं क्या कहूँ की अब देखा नहीं जाता
जब कोई ऊँगली है भारत पे उठाता
नेताओं के चलते ही बस ये देश है लाचार
कब होगा बंद इनका राजनैतिक अत्याचार ………….