बोली की चोट आजीवन तक रहती !

बोली व गोली एक जाति की होती

बोली व गोली एक जाति की होती,
बोली गोली से अधिक प्रभावी होती!
गोली एकबार प्रहार कर मिट जाती,
बोली की चोट आजीवन तक रहती!
बोली की चोट आजीवन तक रहती !

मधुर बोली मुहावरे जैसी प्रिय होती,

मुंह वरे जिसे वह मुहावरे की बोली!
बोली घायल करती,  मरहम लगाती,
बोली गोली से अधिक घातक होती!
बोली से किसी को घात नहीं पहुंचे,
बोली तो दुखद वाचिक हिंसा होती!
भगवान कृष्ण के गीता में वचन ये,
हितकर प्रिय बोली है तप वाणी के!
मनन कर बोलने वाले होते हैं मुनि,
वाणी का संयमी हैं, जैन मतावलंबी!
मुहावरे व लोकोक्ति है अभिव्यक्ति,
मुख से निकली सुन्दर वाणियों की!
मुहावरे में अन्यार्थ,लक्ष्यार्थ,व्यंग्यार्थ,
प्रसिद्ध साहित्यकारों के वाक्चातुर्य!
मुहावरे मानकभाषा से लोकभाषा में,
कहावत लोकभाषा से मानकभाषा में!
मुहावरे व लोकोक्ति काफी प्रांजल होते,
लेखक-कवियों के प्रिय संक्षेपण होते!
मुहावरे, लोकोक्ति और कहावत ऐसे,
वाणी हिंसा न होती जिसके योग से!
महान श्रुति मनुस्मृति में प्रक्षेपन है कटुबोली,
प्रक्षिप्त कटु बोली से, मनुस्मृति बदनाम हुई,
पुष्यमित्र शुंग के, राज प्रशासन में शास्त्रों के
वर्तमान संपादन में जाति कटुउक्ति है घुली!
– विनय कुमार विनायक,
दुमका, झारखण्ड-814101

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