मेरा चांद बेदाग है तुझ में तो दाग है

मेरा चांद बेदाग है तुझ में तो दाग है

मेरा चांद खिला
देख कर उसको फलक का चांद जला
मेरा चांद बेदाग है
तुझ में तो दाग है

चांद
चांद

नाहक ही दुनिया तेरी दीवानी है
मेरे चांद के आगे मधम तेरी रोशनी है
मेरा चांद अल्लाह का नूर रखता है
तू तो दूसरों से नूर लेता है

मेरे चांद का अक्स बेशकीमती है
तेरी आंखों में तो चमक भी फीकी है
तू एक बार उसको देख तो ले
खुद शर्मआएगा तू, दीदार कर तो ले
वह मेरा कोहिनूर है
तुझसे तो कई गुना उसका नूर है

तुलना क्या करूं मैं तुझसे उसकी
वो तो हुस्न का है बेमिसाल मोती
तू क्या अपनी  चांदनी बिखेरेगा
हुस्न की रोशनी में, आंखें मलेगा

चांद मेरा लाजवाब है
तेरी चांदनी का तो सभी के पास जवाब है
रात की कालिमा को तू क्या भगाता है
शायद तू भी अपनी चमक “उसी” से”” पाता है
तू भी अपनी चमक उसी से पाता है


– सोनिया अग्रवाल 
प्राध्यापिका अंग्रेजी
राजकीय पाठशाला सिरसमा
कुरूक्षेत्र

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