मेरी दुनिया में (२) – शोभा गुप्ता

मेरे हाथों में गर हुनर होता।
मेरी चाहतों का शहर होता॥

होता अगर जो खुदा कहीं।
तो दुआओं का भी असर होता॥

कोई ग़म करीब यूँ आ गया।
मैं देखती हूँ जिधर, होता॥

अभी दूर है मंज़िल मगर।
हसीं साथ हो तो सफ़र होता॥

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