मेरे हाथों में गर हुनर होता।
मेरी चाहतों का शहर होता॥
मेरी चाहतों का शहर होता॥
होता अगर जो खुदा कहीं।
तो दुआओं का भी असर होता॥
कोई ग़म करीब यूँ आ गया।
मैं देखती हूँ जिधर, होता॥
अभी दूर है मंज़िल मगर।
हसीं साथ हो तो सफ़र होता॥