मेरे जीवन का सबसे यादगार दिन | Memorable Day of My Life in Hindi

मेरे जीवन का सबसे यादगार दिन

मेरे जीवन का सबसे यादगार दिन Memorable Day of My Life in Hindi मेरे जीवन का सबसे खुशी का दिन पर निबंध Mere Jeevan ka Sabse Khushi ka Din par Nibandh Mere jeevan ka sarvaadhik khushi ka din  – मेरे जीवन का  सबसे यादगार दिन बहुत ही रोचक है।  मैं उस दिन को कभी नहीं भूल सकती जिस दिन मुझे स्कूल कैप्टन के रूप में चुना गया था। कैप्टन का चुनाव हमारे विद्यालय की एक महत्वपूर्ण घटना है। हर साल नए स्कूल कैप्टन का चुनाव किया जाता है। छात्र चार कैप्टनों के लिए मतदान करते हैं और शिक्षक समिति अंतिम चयन करती है। छात्र का चयन योग्यता के आधार पर किया जाता है। जब नामांकन किये जाते हैं उस समय पढ़ाई ,खेलों में कार्य निष्पादन और छात्र के आचरण पर विचार किया जाता है। छात्र की लोकप्रियता को भी महत्व दिया जाता है। 

लड़कियों की जीत 

मेरे नाम का प्रस्ताव किया गया था क्योंकि मैं पढ़ाई में काफी अच्छी थी ,बास्केटबाल टीम की कप्तान थी और मेरे शिक्षकों ने मेरे आचरण को अच्छा माना था। हमारा विद्यालय सह – शिक्षा पद्धति का विद्यालय है और पिछले वर्षों के

मेरे जीवन का सबसे यादगार दिन | Memorable Day of My Life in Hindi

दौरान लड़कों में से ही स्कूल कैप्टन बने थे। इसीलिए मेरी जीत लड़कियों के लिए बहुत ख़ास थी क्योंकि मैंने यह साबित कर दिखाया था कि एक लड़की भी उतनी ही बुद्धिमान और स्मार्ट होती है जितने की लडकें हो सकते हैं और वह भी नेता बन सकती है। 

जीत हासिल करने की इच्छा 

परिणाम आने से पहले वाले दिन में काफी चिंतित थी। हार जाने पर मुझे कोई ख़ास दुःख नहीं होता क्योंकि मेरे विरोधी भी अच्छे मित्र थे। इसके बावजूद मन में जीत हासिल करने की प्रबल इच्छा थी। मैं जानती थी कि कैप्टन होने का मतलब है ढेर सारी जिम्मेदारीयां। विशेष रूप से यह देखते हुए कि यह स्कूल में मेरे अंतिम वर्ष था। इसका अर्थ था कि एक ओर मुझे स्कूल की गतिविधियों के लिए अतिरिक्त समय देना था और दूसरी ओर अपने पाठों और पढ़ाई के साथ भी तालमेल बिठाना था। 
मेरे माता – पिता ने मुझे हतोत्साहित नहीं किया। उन्होंने कहा कि मुझमे नेतृत्व की प्रतिभा और क्षमताएँ हैं और साथ ही मैं एक अच्छी छात्र भी हूँ। इसीलिए जब परिणाम घोषित किये गए और मुझे स्कूल कैप्टन के रूप में चुन लिया गया तो ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। 

ईमानदारी और लगन 

मैंने अपनी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों को ईमानदारी और लगन से पूरा किया है। विद्यालय के प्रधानाचार्य और शिक्षकगण मुझसे प्रसन्न हैं और मुझे अपने सहपाठियों और कनिष्ठ छात्रों से भी प्रशंसा मिली है। आज जब मैं विद्यालय छोड़ने के करीब हूँ मुझे इस बात की ख़ुशी है कि मेरे पास अनेकों सुखद स्मृतियां हैं जिन्हें मैं जीवनभर नहीं भूल पाऊँगी।
विडियो के रूप में देखें – 

You May Also Like