मेहनत ही सफलता की कुंजी
एक किसान था बहुत बूढा
लेकर बैठा था वो मूढा।
पुत्र थे उसके अपने चार
सफलता |
थे सब के सब बेरोजगार।
आपस में लड़ते थे भाई
करते नहीं थे वे समाई।
किसान ने नसीहत लगाई
कुछ काम करो मेरे भाई।
बेटों को बात समझ आई
तभी उन्होंने फाली उठाई।
सबने मेहनत कर दिखाई
नेक सफलता उनको पाई।
सब में एक आवाज़ गूँजी
मेहनत सफलता की कुंजी।
– अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा
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