सिकंदर भी हिल गया

सिकंदर भी हिल गया

रणजीत विजय आगाज भी था
कहीं सिंह हरण हुंकार भी था।
कहीं कीर्ति – पताका कहती है
वह नवयुग का इतिहास भी था।
जब भारत में यवनों का आक्रमण हुआ था, यवनों ने अपनी राजधानी साकल को बनाया। उस समय भारत पर सिकंदर ने आक्रमण किया था जोकि सिंधु नदी पार करते हुए आगे बढ़ा तथा तक्षशिला के राजा अंभिक ने सिकंदर के साथ मित्रता करके अपने को घर का भेदी बनाया।युद्ध हुआ हमारे आर्यव्रत फिर से बंदी होने के लिए तैयार था, उस समय एक महान युद्ध हुआ साकल में तो बड़ा ही रक्तपात हुआ।
सिकंदर को यूनान देश के हर कोई सैनिक देवपुत्र कहकर पुकारता था, कहते थे कि सिकंदर महान एक अचूक भाला फेंकता था। सिकंदर ने जैसे ही एक भाला हाथी में बैठे हुए किसी राजा पर फेंका तो नीचे से कोई युवा ने उस भाला को फुर्तीले के साथ पकड़ लिया।
सिकंदर
सिकंदर
सिकंदर हैरान रह गया। सिकंदर ने उस युवा से कहा -“सिंह को देखा क्या कभी चीर -फाड़ देता है।
सिंह हरण -“सिंह को तो देखा होगा लेकिन तुमने सिकंदर सिंह हरण को नहीं देखा होगा, जोकि सिंह का भी हरण कर देता है।
सिकंदर -“हम तो इतिहास रक्त से बनाते हैं,जो कि अब तुम्हारे रक्त से बनाएंगे।
सिंह हरण -“हम तो ऐसे क्रांतिकारी है, जो अपने रक्त से अपनी भूमि का भू श्रृंगार करेंगे।
सिकंदर -“तुम्हारी धरती है क्या केवल मिट्टी?
सिंह हरण -“जैसे झरने छन – छन कर  सीधे नहरों से हमारे खेतों में जाते है, जो उनको सिंचती है और गेहूं चावल आदि फसलें उपजाती है तथा हमारा भरण पोषण करती हैं।
सिकंदर -“और नदी….?
सिंह हरण -“और नदी तो हम सब की माता है जो या सब की प्यास बुझाती है।
नमन करूं मैं, चरण पड़ू मैं
इन वीरों के साथी को।
अरमान भरूं, गुरगान करूं
प्रणाम करूं इस माटी को।
(सिकंदर और सिंह हरण का एक महान युद्ध हुआ, सिंह हरण ने सिकंदर को बुरी तरह घायल कर दिया जैसे ही वह सिकंदर को मारने वाला था वैसे ही सिकंदर का सेनापति सेल्यूकस आ गया)
सेल्यूकस -“हमारे देवपुत्र को छोड़ दो”
सिंह हरण – “तुम भी क्या याद रखोगे सिकंदर आज सिंह हरण ने तुम्हें छोड़ दिया तथा तुम्हें प्राण दान दिया।
कहते हैं कि बाद में सिकंदर ने सिंह हरण को अपने शिविरों बुलाया तथा उसका विवाह गंधार की राजकुमारी से कराया –
वीर योद्धा जो कहता है
है अपना  विश्वास।
पृष्ठ पलटने आया हूं
यह मेरा इतिहास।
– नरेंद्र भाकुनी
एम ए हिंदी, एम ए इतिहास
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