हे करुणा के स्वामी !

हे करुणा के स्वामी !

हे करुणा के स्वामी !
कुछ तो करूणा कर,
पथ भरे हैं, पावों के झाले चुभते
नयनभर  सब सहते चलते -“धूप धाम पानी वर्षा”
भूख ,प्यास  , दर्द  अब सब जीवन के अंश
हे करूणा के स्वामी !

करुणा के स्वामी

अब तू ही जीवन रक्षक बन ।।

हे करूणा के स्वामी !
सुन विपदा मेरी ,
छुटा सब घर बार हमारा ,
था दुःखी तो शहर आया
रोजी रोटी कुछ मिल ना पाया
 जो था वो भी गंवाया।।

हैं विपदा ये कैसी तेरी
आज मानव ही मानव से दूर हुआ है
जीवन ही नही मरण का भी अब तो
धर्म नष्ट हुआ है।।

हे करुणा के स्वामी !
अब तो कुछ करुणा कर ।।

                   

– शुभम पाण्डेय

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