अकाल पर हिन्दी में निबंध
भारत में अकाल पड़ने के कारण
अकाल पड़ने पर लोगों की दुर्दशा का अंत नहीं रहता है। पहले थोड़ा थोड़ा ,फिर एक शाम ,इसके बाद आधा पेट भोजन फिर दो दिन के बाद इस तरह समय बीतने लगता है। किसान अपने अन्न के बीज भी खा डालते हैं। इसके बाद गाय ,भैस ,भेड़ बकरी आदि घर के जानवरों को बेच बेच कर पेट के हवाले कर डालते हैं। इसी पेट की आग में घर के बर्तन – गहने ,कपड़े – लत्ते सब स्वाहा हो जाते हैं। माँ – बाप अपनी संतान के मुँह का कौर छीनने में नहीं हिचकते हैं। लोग बाल – बच्चों से बेचैन होकर चोरी – डकैती और खून करने से भी बाज नहीं आते हैं। कितने ही लोग पेड़ों के पत्ते ,फूल और जड़ें खा खाकर ही अपनी भूख मिटाने लगते हैं , यहाँ तक कि भूख की ज्वाला से जलकर मुर्दे का माँस खाकर भी वे तृप्त नहीं होते हैं।
अकाल से बचने के उपाय
वैज्ञानिक ढंग से खेती करने की व्यवस्था करनी होगी। देश के लोगों को अन्न संचय के लिए सचेष्ट होना पड़ेगा। व्यर्थ नष्ट न करके समय – असमय के लिए बचा बचाकर रखना सीखना होगा। सरकार और जनता के सहयोग से अधिक अन्न उपजाने के पवित्र कार्य में साधन के साथ साथ प्रत्येक देशवासी को तन -मन धन से जुट जाना चाहिए।
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