Essay on Famine in Hindi | अकाल पर हिन्दी में निबंध

अकाल पर हिन्दी में निबंध

सूखा और अकाल पर निबंध Essay on Drought in Hindi अकाल से बचने के उपाय भारत में अकाल पड़ने के कारण  – जब किसी देश में सूखा पड़ जाता है। तब नदी नाले सूख जाते हैं। पेड़ – पौधे,पानी के बिना मुरझा कर सूख जाते हैं। सूखे बीज जमने नहीं पाते हैं और उन्हें पक्षी तथा कीड़े मकौड़े खा जाते हैं। इसी प्रकार अधिक वर्षा के कारण भी बीज गल जाता या बह जाता है ,फसल डूब जाती है। इन कारणों से अन्न पैदा नहीं होने पाता है और देश में अकाल पड़ जाता है।
जब किसी देश में अकाल पर में पड़ता है तब लोग दाने दाने को तरसते लगते हैं। क्या धनी ,क्या गरीब सभी को ही अकाल का शिकार बनना पड़ता है। अकाल का दूसरा नाम दुर्भिक्ष है। दुर्भिक्ष शब्द का अर्थ ही है कि भिक्षा माँगने से भी जहाँ कुछ न मिले। 

भारत में अकाल पड़ने के कारण

Essay on Famine in Hindi | अकाल पर हिन्दी में निबंध

अकाल पड़ने पर लोगों की दुर्दशा का अंत नहीं रहता है। पहले थोड़ा थोड़ा ,फिर एक शाम ,इसके बाद आधा पेट भोजन फिर दो दिन के बाद इस तरह समय बीतने लगता है। किसान अपने अन्न के बीज भी खा डालते हैं। इसके बाद गाय ,भैस ,भेड़ बकरी आदि घर के जानवरों को बेच बेच कर पेट के हवाले कर डालते हैं। इसी पेट की आग में घर के बर्तन – गहने ,कपड़े – लत्ते सब स्वाहा हो जाते हैं। माँ – बाप अपनी संतान के मुँह का कौर छीनने में नहीं हिचकते हैं। लोग बाल – बच्चों से बेचैन होकर चोरी – डकैती और खून करने से भी बाज नहीं आते हैं। कितने ही लोग पेड़ों के पत्ते ,फूल और जड़ें खा खाकर ही अपनी भूख मिटाने लगते हैं , यहाँ तक कि भूख की ज्वाला से जलकर मुर्दे का माँस खाकर भी वे तृप्त नहीं होते हैं। 

अकाल से बचने के उपाय

अकाल पर पड़ने पर अन्न के अभाव में मुट्ठी भर अन्न के लिए हाहाकार मच जाता है। भला या बुरा जो कुछ भी मिला ,खा खाकर लोग तरह – तरह की बीमारियों के शिकार बन जाते हैं। चारा और जल न मिलने के कारण मवेशियां तड़प – तड़प कर मर जाते हैं। इसी तरह गाँव के गाँव उजाड़ होकर शमशान बन जाते हैं। 

वैज्ञानिक ढंग से खेती करने की व्यवस्था करनी होगी। देश के लोगों को अन्न संचय के लिए सचेष्ट होना पड़ेगा। व्यर्थ नष्ट न करके समय – असमय के लिए बचा बचाकर रखना सीखना होगा। सरकार और जनता के सहयोग से अधिक अन्न उपजाने के पवित्र कार्य में साधन के साथ साथ प्रत्येक देशवासी को तन -मन धन से जुट जाना चाहिए। 

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