Man Ke Bhole Bhale Badal मन के भोले भाले बादल

Man Ke Bhole Bhale Badal मन के भोले भाले बादल

Man Ke Bhole Bhale Badal मन के भोले भाले बादल मन के भोले भाले बादल के शब्द अर्थ मन के भोले-भाले बादल Man Ke Bhole-Bhaale Baadal  Class 4 Hindi  NCERT CBSE KVS  man ke man ke bhole bhale badal man ke bhole bhale badal man ke bhole bhale badal  man ke bhole bhale badal ke kavi ka naam kya hai man ke bhole bhale badal poet name man k bhole bhale badal worksheet man ke bhole bhale badal kathin shabd मन के भोले-भाले बादल  Man Ke Bhole-Bhaale Baadal  Class 4 Hindi  NCERT CBSE मन के भोले- भाले बादल पाठ 1 हिंदी class 4th full explanation with exercises मन के भोले भाले बादल प्रश्न और उत्तर Mane Bhole (Q&A) Class 4 Hindi  NCERT मन के भोले -भाले बादल प्रश्नोत्तर सहित man ke bhole bhale badal with question-answer मन के भोले-भाले बादल कविता के प्रश्न उत्तर मन के भोले भाले बादल कविता 


मन के भोले भाले बादल कविता का अर्थ व्याख्या

1. झब्बर-झब्बर बालों वाले
गुब्बारे से गालों वाले
लगे दौड़ने आसमान में
झूम-झूम कर काले बादल | 

कुछ जोकर-से तोंद फुलाए
कुछ हाथी-से सूँड़ उठाए
कुछ ऊँटों-से कूबड़ वाले
कुछ परियों-से पंख लगाए

आपस में टकराते रह-रह
शेरों से मतवाले बादल | 
व्याख्या – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि कल्पनाथ सिंह के द्वारा रचित कविता ‘मन के भोले-भाले बादल’ से ली गई हैं | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि बादलों के बाल झब्बरदार अर्थात् घने और फैलावदार हैं | बादलों के गाल गुब्बारे जैसे हैं | बादलों का रंग काला है, जो झूम-झूमकर आसमान में दौड़ लगा रहे हैं | कुछ बादलों का तोंद जोकर जैसा निकला है, तो कुछ बादलों का सूँड़ हाथी जैसा है | कुछ बादल ऊँटों के समान कूबड़ हैं ,तो कुछ बादल परियों जैसे पंख लगाए हैं | शेरों के समान ये बादल आपस में रह-रहकर टकराते रहते हैं | 
2. कुछ तो लगते हैं तूफ़ानी
मन के भोले भाले बादल
मन के भोले भाले बादल
कुछ रह-रह करते शैतानी
कुछ अपने थैलों से चुपके
झर-झर-झर बरसाते पानी

नहीं किसी की सुनते कुछ भी
ढोलक-ढोल बजाते बादल | 

रह-रहकर छत पर आ जाते
फिर चुपके ऊपर उड़ जाते
कभी-कभी जिद्दी बन करके 
बाढ़ नदी-नालों में लाते

फिर भी लगते बहुत भले हैं
मन के भोले-भाले बादल | 
व्याख्या – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि कल्पनाथ सिंह के द्वारा रचित कविता ‘मन के भोले-भाले बादल’ से ली गई हैं | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि कुछ बादल तूफान जैसे प्रतीत होते हैं, तो कुछ बादल शैतान की तरह शरारती या दुष्ट भी हैं | कुछ बादल अपने थैलों से चुपके-चुपके पानी बरसाते हैं | बादल भी किसी का कुछ नहीं सुनते हैं | ढोलक या ढोल की तरह आवाज़ करते हुए कभी रह-रहकर छत पर आ जाते हैं, फिर चुपके से ऊपर उड़ जाते हैं | और कभी-कभी बादल अपनी जिद्द पर अड़ जाते हैं | परिणामस्वरूप, इतना बरसते हैं कि नदी-नालों में बाढ़ तक आ जाती है | फिर भी कवि के अनुरूप, बादल अच्छे लगते हैं, जो मन के भोले-भाले बादल हैं | 

मन के भोले-भाले बादल की कहानी कविता का सारांश

मन के भोले-भाले बादल पाठ या कविता में कवि कल्पनाथ सिंह जी के द्वारा बादलों के विभिन्न रूपों का चित्रण किया गया है | कविता में प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि बादलों के बाल झब्बरदार अर्थात् घने और फैलावदार हैं | बादलों के गाल गुब्बारे जैसे हैं | बादलों का रंग काला है, जो झूम-झूमकर आसमान में दौड़ लगा रहे हैं | कुछ बादलों का तोंद जोकर जैसा निकला है, तो कुछ बादलों का सूँड़ हाथी जैसा है | कुछ बादल ऊँटों के समान कूबड़ हैं ,तो कुछ बादल परियों जैसे पंख लगाए हैं | शेरों के समान ये बादल आपस में रह-रहकर टकराते रहते हैं और गर्जना करते रहते हैं | 
कवि अपनी पंक्तियों के माध्यम से आगे कहते हैं कि कुछ बादल तूफान जैसे प्रतीत होते हैं, तो कुछ बादल शैतान की तरह शरारती या दुष्ट भी हैं | कुछ बादल अपने थैलों से चुपके-चुपके पानी बरसाते हैं | ये बादल भी किसी का कुछ नहीं सुनते हैं | ढोलक या ढोल की तरह आवाज़ करते हुए कभी रह-रहकर छत पर आ जाते हैं, फिर चुपके से ऊपर उड़ जाते हैं | और कभी-कभी बादल अपनी जिद्द पर अड़ जाते हैं | परिणामस्वरूप, इतना बरसते हैं कि नदी-नालों में बाढ़ तक आ जाती है | फिर भी कवि के अनुरूप, बादल अच्छे लगते हैं, जो मन के भोले-भाले बादल हैं | 

मन के भोले-भाले बादल कविता के प्रश्न उत्तर 

प्रश्न-1 तूफ़ान क्या होता है ? बादलों को तूफ़ानी क्यों कहा गया है ? 
उत्तर- तूफ़ान तेज हवा और बारिश के साथ गोल-गोल घूमता हुआ आगे बढ़ता है | इसे चक्रवाती तूफ़ान भी कहते हैं | तूफ़ान का आकार बहुत बड़ा होता है | यह करीब 300 किलोमीटर से लेकर 1000 किलोमीटर तक फैला होता है | यह समुद्र के आस-पास वाले इलाकों में भारी तबाही मचाता है | 
तूफ़ान में तेज हवाएँ चलती हैं, आकाश में काले बादल छा जाते हैं | बादलों के गर्जना के साथ-साथ बिजली भी कड़कती है, जिससे तूफ़ान पैदा होने या आने का संकेत मिलता है | इसलिए कवि द्वारा बादलों को तूफ़ानी कहा गया है | 
प्रश्न-2 कविता में ‘काले’ बादलों की बात की गई है | क्या बादल सचमुच काले होते हैं | 
उत्तर- प्रस्तुत कविता में बादलों के अनेक रूपों के बारे में बताया गया है | परन्तु, कविता में रंग के आधार पर काले बादल की बात कही गई है | जैसा कि सर्वज्ञात है, कुछ बादल काले दिखाई देते हैं, कुछ सफ़ेद और कुछ स्लेटी रंग के भी होते हैं | पानी या बर्फ़ के छोटे-छोटे कणों से मिलकर बादल बनते हैं | ये कण इतने हल्के होते हैं कि हवा में आसानी से उड़ने लगते हैं | अत: बादल सचमुच काले नहीं होते | 
प्रश्न-3 साल के किन-किन महीनों में ज़्यादा बादल छाते हैं ? 
उत्तर-  सामन्यतः जुलाई और अगस्त के महीने में ज़्यादा बादल छाते हैं | 
प्रश्न-4 बादल ढोल कैसे बजाते होंगे ?
उत्तर- जब बादल आपस में टकराते हैं, तो ढोलक के समान आवाज़ होती है | मानो ऐसा प्रतीत होता है, जैसे ढोल बज रहा हो | 
प्रश्न-5 बादल कैसी शैतानियाँ करते होंगे ? 
उत्तर-  स्वाभाविक रूप से बादल शान्त दिखाई देते हैं | लेकिन जब वे आपस में टकराते हैं, तो तेज आवाज़ में गरजते हैं | कभी बादल पल भर में रिमझिम या हल्की-हल्की बारिश करते हैं, तो कभी तेज और निरन्तर बारिश से नदी-नालों में बाढ़ तक ला देते हैं | कभी-कभार ऐसा भी होता है कि एक ओर धूप निकली होती है, तो वहीं दूसरी ओर बारिश के बूँदों का भूमि पर पड़ना भी जारी रहता है | कवि बादलों के इसी बदलते रूप को शैतानी बादल का नाम दिए हैं | 

मन के भोले-भाले बादल शब्दार्थ

• झब्बर –        बड़े, घने, फैलावदार 
• तोंद –          बाहर की ओर निकला हुआ पेट 
• कूबड़ –        किसी वस्तु या जीव का उभारदार टेढ़ापन (जैसे—ऊँट का कूबड़) 
• मतवाला –    मनमौजी, मस्ती में रहनेवाला, लापरवाह 
• तूफानी –      तूफ़ान की तरह तबाही मचाता हुआ 
• शैतानी –      शरारत भरा काम, दुष्टतापूर्ण 
• जिद्दी –         हठी
• भले –          अच्छे
• भोले-भाले – सरल, सज्जन, अच्छा हृदय का, निश्छल | 

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