लिखित संचार क्या है? लिखित संचार के लाभ

likhit sanchar - written communication

लिखित संचार एक प्रकार औपचारिक संचार है जिसमें सूचनाओं का आदान-प्रदान लिखित रूप में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को प्रेषित किया जाता है इस संचार के द्वारा संचारक को लिखित रूप में प्रेषित किये गये संदेश का अभिलेख रखने में आसानी होती है। लिखित संचार के द्वारा यह स्पष्ट होता है कि आवश्यक सूचना प्रत्येक व्यक्ति को समान रूप से प्रदान की गई है। एक लिखित संचार सही, संक्षिप्त, पूर्ण तथा स्पष्ट होता है।

लिखित संचार के साधन

बुलेटिन, हैंडबुक्स व डायरियां, समाचार पत्र, मैगजीन, सुझाव -योजनाएं, व्यावहारिक पत्रिकायें, संगठन-पुस्तिकाएं संगठन-अनुसूचियाँ, नीति- पुस्तिकायें कार्यविधि पुस्तिकायें, प्रतिवेदन, अध्यादेश आदि।

लिखित संचार के लाभ

लिखित संचार के लाभ हैः-

  1. लिखित सम्प्रेषण की दशा में दोनों पक्षों की उपस्थिति आवश्यक नहीं है
  2. विस्तृत एवं जटिल सूचनाओं के सम्प्रेषण के लिए यह अधिक उपयुक्त है।
  3. यह साधन मितव्ययी भी है क्योंकि डाक द्वारा समाचार योजना, दूरभाष पर बात करने की उपेक्षा सस्ता होता है।
  4. लिखित संवाद प्रमाण का काम करता है तथा भावी संदर्भों के लिए इसका उपयोग किया जाता है।

लिखित संचार के दोष

लिखित संचार के दोष हैः-

  1. लिखित संचार की दशा में प्रत्येक सूचना को चाहे वह छोटी हो अथवा बड़ी, लिखित रूप में ही प्रस्तुत करना पड़ता है जिनमें स्वभावतः बहुत अधिक समय व धन का अपव्यय होता है।
  2. प्रत्येक छोटी-बड़ी बात हो हमेशा लिखित रूप में ही प्रस्तुत करना सम्भव नहीं होता।
  3. लिखित संचार में गोपनीयता नहीं रखी जा सकती।
  4. लिखित संचार का एक दोष यह भी है कि इससे लालफीताशाही का बढ़ावा मिलता है।
  5. अशिक्षित व्यक्तियों के लिए लिखित स्म्प्रेषण कोई अर्थ नहीं रखता।

मौखिक अथवा लिखित संचार के अपेक्षाकृत श्रेष्ठ कौन है, इसका निर्णय करना एक कठिन समस्या है। वास्तव में इसका उत्तर प्रत्येक मामले की परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।

महत्वपूर्ण तथ्य

लिखित संचार संचार का एक महत्वपूर्ण रूप है जिसका उपयोग व्यवसाय, शिक्षा, सरकार और व्यक्तिगत बातचीत सहित विभिन्न संदर्भों में किया जाता है। लिखित संचार के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य यहां दिए गए हैं:

  1. स्थायी रिकॉर्ड: लिखित संचार संदेश का एक स्थायी रिकॉर्ड बनाता है, जो इसे दस्तावेज़ीकरण, संदर्भ और कानूनी उद्देश्यों के लिए उपयुक्त बनाता है।
  2. स्पष्टता: प्रभावी लिखित संचार स्पष्टता पर जोर देता है। यह लेखक को सावधानीपूर्वक शब्दों का चयन करने और वाक्यों की संरचना करने की अनुमति देता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि संदेश आसानी से समझा जा सके।
  3. श्रोता: अच्छा लिखित संचार दर्शकों की जरूरतों, ज्ञान और पृष्ठभूमि पर विचार करता है। संदेश को पाठक की समझ के स्तर के अनुरूप बनाना आवश्यक है।
  4. औपचारिकता: लिखित संचार में औपचारिकता का स्तर संदर्भ के आधार पर भिन्न हो सकता है। यह अत्यधिक औपचारिक (जैसे, कानूनी दस्तावेज़) से लेकर अनौपचारिक (जैसे, दोस्तों को ईमेल) तक हो सकता है।
  5. चैनल: लिखित संचार ईमेल, पत्र, रिपोर्ट, मेमो, निबंध, टेक्स्ट संदेश और सोशल मीडिया पोस्ट सहित विभिन्न रूप ले सकता है।
  6. संपादन और प्रूफरीडिंग: त्रुटियों को खत्म करने, स्पष्टता में सुधार करने और व्यावसायिकता सुनिश्चित करने के लिए लिखित संचार को अक्सर सावधानीपूर्वक संपादन और प्रूफरीडिंग से लाभ होता है।
  7. स्वर: लिखित संचार में स्वर उद्देश्य और दर्शकों से मेल खाना चाहिए। यह संदर्भ के आधार पर औपचारिक, अनौपचारिक, मैत्रीपूर्ण, पेशेवर, प्रेरक या सूचनात्मक हो सकता है।
  8. संरचना: लिखित संचार आम तौर पर एक संरचित प्रारूप का अनुसरण करता है, जिसमें एक परिचय, मुख्य भाग और निष्कर्ष होता है। उचित संगठन संदेश को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करने में मदद करता है।
  9. अशाब्दिक तत्व: लिखित संचार में, विराम चिह्न, स्वरूपण और टाइपोग्राफी जैसे अशाब्दिक तत्व अर्थ और स्वर को संप्रेषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  10. डिजिटल युग: डिजिटल युग में, अधिकांश लिखित संचार इलेक्ट्रॉनिक रूप से, ईमेल, त्वरित संदेश और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से होता है। इसके लिए छोटे प्रारूपों को अपनाने और तेज़ प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता होती है।
  11. भाषा: लिखित संचार भाषा पर निर्भर करता है, और इसकी प्रभावशीलता लेखक की भाषा दक्षता, शब्दावली और व्याकरण कौशल पर निर्भर करती है।
  12. पहुंच: यह सुनिश्चित करना कि विकलांग व्यक्तियों के लिए लिखित संचार सुलभ है, एक बढ़ती हुई चिंता है, जो अक्सर कानूनों और विनियमों द्वारा अनिवार्य है।
  13. सांस्कृतिक संवेदनशीलता: विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों के साथ संवाद करते समय, सांस्कृतिक मतभेदों और संभावित गलतफहमियों के बारे में जागरूक होना आवश्यक है।
  14. अनुलग्नक और अनुलग्नक: औपचारिक लिखित संचार में, अनुलग्नक और अनुलग्नक का उपयोग अतिरिक्त जानकारी प्रदान करने के लिए किया जा सकता है, जैसे कि मुख्य संदेश में संदर्भित रिपोर्ट या दस्तावेज़।
  15. दृश्य सामग्री: कुछ मामलों में, लिखित संचार में समझ बढ़ाने के लिए चार्ट, ग्राफ़ या चित्र जैसी दृश्य सामग्री शामिल हो सकती है।
  16. गोपनीयता और सुरक्षा: लिखित संचार में संवेदनशील जानकारी की गोपनीयता और सुरक्षा की रक्षा करना महत्वपूर्ण है, खासकर जब इसमें व्यक्तिगत या गोपनीय डेटा शामिल हो।
  17. कानूनी और संविदात्मक निहितार्थ: कुछ लिखित संचार, जैसे अनुबंध और समझौते, के कानूनी निहितार्थ होते हैं और कानूनी पेशेवरों द्वारा सावधानीपूर्वक शब्दों और समीक्षा की आवश्यकता होती है।
  18. व्यावसायिकता: लिखित संचार में व्यावसायिकता बनाए रखना आवश्यक है, विशेषकर व्यावसायिक या औपचारिक संदर्भ में।
  19. संक्षिप्तता: प्रभावी लिखित संचार अक्सर संक्षिप्तता का पक्ष लेता है। अनावश्यक शब्द या जानकारी संदेश की स्पष्टता और प्रभाव को ख़राब कर सकते हैं।
  20. फीडबैक: लिखित संचार में फीडबैक के लिए तंत्र शामिल होना चाहिए, जिससे प्राप्तकर्ताओं को स्पष्टीकरण मांगने या संदेश का जवाब देने की अनुमति मिल सके।

लिखित संचार एक बहुमुखी और शक्तिशाली उपकरण है जो आधुनिक जीवन के विभिन्न पहलुओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्पष्ट, सटीक और प्रभावशाली संदेश भेजने के लिए प्रभावी लिखित संचार कौशल आवश्यक हैं।

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