अगर तुम ना संभले तो इदारे भी छीन लेंगे

अगर तुम ना संभले तो इदारे भी छीन लेंगे

भी तो ज़ुबां छीनी है इशारे भी छीन लेंगे,
अगर तुम ना संभले तो इदारे भी छीन लेंगे।

अगर तुम ना संभले तो इदारे भी छीन लेंगे

लोकपाल नहीं दिया कोई बात नहीं लेकिन,
ये सोचा नहीं था अन्ना हज़ारे भी छीन लेंगे।

ये कहते हैं जिनके पास सूरज है आजकल,
पक्की बस्तियां छोड़ो, उसारे भी छीन लेंगे।

वो आए नहीं है सिर्फ मुस्तक़बिल बिगाड़ने,
अगर मौक़ा मिला दिन गुज़ारे भी छीन लेंगे।

आज मैं हूं निशाना तो तुम खुश हो लेकिन,
वो मेरे बाद में घर बार तुम्हारे भी छीन लेंगे।

गांव में बारिश नहीं हुई अलग बात है मगर,
वो धमकी दे रहे हैं कि फुहारे भी छीन लेंगे।

दिल में सिर्फ़ मझधार का ख़ौफ मत रखिए,
वो सुना हैं ज़िन्दगी से किनारे भी छीन लेंगे।

सितम का ऐसा ही आलम रहा तो एक दिन,
बदन के ही नहीं, कपड़े ‌उतारे भी छीन लेंगे।

मेरे उपर उनके ज़ुल्म की हद देखिए “ज़फ़र”
वो मेरी उम्मीद के मुझसे शरारे भी छीन लेंगे।



-ज़फ़रुद्दीन ज़फ़र

एफ-413,

कड़कड़डूमा कोर्ट,

दिल्ली-32 

zzafar08@gmail.com

You May Also Like