अहसास
अचानक फ़ोन की घंटी बजी | फ़ोन के दूसरी तरफ उसका बेटा था | बह चीख रहा था कि उस को बार बार क्यों परेशान करते हो वह ठीक ही हो जाएगा।
दरअसल बात कुछ भी नहीं थी, चार पांच दिन से उसकी बेटे से बात नहीं हुई थी| बह उसका हालचाल जानना चाहता था | इसलिए बह बार बार फ़ोन कर रहा था | उसका लड़का एक बहुत बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी का सीईओ हैं बह जानता हैं ,कि उसका बेटा ठीक ही होगा | किन्तु मन का किया करे ,मन बार बार उसकी आवाज सुनना चाहता था |
उसकी चीख ने उसको झकझोर दिया और उस को वर्तमान से 45 वर्ष पूर्व पहुंचा दिया | वह वर्तमान से बहुत दूर चला गया।
उसमे एक अधेड़ पतला दुबला अनपढ़ व्यक्ति दिखाई देता हैं |जो अपने बेटे को शहर में पढ़ने के लिए ले जाना चाहता हैं और मुरादाबाद के ख्याति प्राप्त गवर्नमेंट इंटर कॉलेज में हर व्यक्ति से एड-मिशन फार्म भरने की प्रार्थना करता हैं क्योंकि फार्म अंग्रेजी में था और अंग्रेजी ना तो उस को आती थी और ना ही उसके बेटे को |एड मिशन के बाद बह हर पंद्रह दिन बाद बिना रुके अपने बेटे से मिलने उसके स्कूल आता था और उसकी क्लास में एक डरे हुए व्यक्ति की तरह दर बाजे से झांक था उस को देख कर उसकी क्लास के लड़के हस ने लगते थे। बाहर आकर उसका बेटा उसी तरह से चीख़ता था कि तुम बार बार क्यों चले आते हो मैं ठीक ही होऊंगा वह व्यक्ति बिना कुछ कहे मुस्कराते हुए चला जाता था और फिर पुनः: पंद्रह दिन बाद आ जाता था | और यह क्रम चार साल उसके इन्टर करने तक जारी रहा |
आज उसको अहसास हो रहा था कि उस समय जब हाल चाल जानने का कोई साधन नहीं था बह अनपढ़ देहाती व्यक्ति बीस किलोमीटर दूर से अपने बेटे से मिलने हर पंद्रह दिन में पैदल किंयो आता था
– अशोक कुमार भटनागर
रिटायर वरिष्ठ लेखा अधिकारी रक्षा लेखा विभाग , भारत सरकार