उसके घर का पता है हवा तू बता

उसके घर का पता

मन करे उड़ कर जाऊं
उसके पास
जाकर खूब बतला ऊ
पर क्या करूं
घर का पता
पता ना कर पाऊं

ए हवा
और चंचल फजा
तुम्हें तो पता होगा
उसकी खुशबू का जादू
छाता तो होगा
झोंका कहां से आता
जाकर लगाओ पता
बताओ तो जरा
उसके घर का पता

उसके घर का पता
उसके घर का पता

ओ बदली
रुक जा पगली
तुझे तो कुछ पता होगा
उसके घर से घूम कर आई होगी
वहां भी कुछ छाया तो करती होंगी
मीठी सी बरसात बरसती होगी
बताओ तो जरा
उसके घर का पता

ओ किरण
चंचल किरण
तुम्हें तो कुछ पता होगा
उसकी चंचलता तुम में छुपी है
तू जरूर उससे मिलती है
यह नटखट पन 
उससे लेती है
बताओ तो जरा
उसके घर का पता’

ओ चिरिया
प्यारी चीरिया
मेरा मन भी उड़ता है
संग तुम्हारे ले जाओ
उसकी डाली पर जैसे तुम बैठो
मुझे भी छोड़ आओ
मिल लूं
बतिया लू
ले तो जाओ जरा
उसके घर का पता’
बताओ तो जरा

ओ वादियों
ओ घटाओ
उसकी जुल्फ सा घनापन तुम में 
समाया है
तुमने उसी को अपना साथ ही बनाया है
बताओ तो जरा
उसके घर का पता

ओ कारी रैन
ओ मतवाली रैन
तुमने ये कजरा पन उस से पाया है
उसने तुम्हे अपनी आंखो में समाया है
बताओ तो जरा
उसके घर का पता

मैं भी मिल लूं
उसके पास जाऊं
कुछ तो रहम करो
बताओ तो जरा

उसके घर का पता


– सोनिया अग्रवाल 
प्राध्यापिका अंग्रेजी
राजकीय पाठशाला सिरसमा
कुरूक्षेत्र

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