मेरा घर जाना ज़रूरी है
मेरा घर जाना ज़रूरी है
क्योंकि यहां रुकना भूख से मर जाना है
भूख से मरना निहायत गरीबी की निशानी है
वैसे मेरे पास कोई निशानी तो नहीं है
जिससे मैं स्वयं को समाज के सामने दिखा सकूं
बस मैं समाज के सामने एक मजदूर हूं
वो मजदूर जो अपना श्रम बेच देता है
सिर्फ भूख के लिए
इसी कारण मैं भूख से नहीं मरना चाहता हूं
जिस भूख को मिटाने के लिए
मैंने जीवन-भर संघर्ष किया
आज बेबस होकर मेरा भूख से मर जाना
मेरे श्रम की नाकामी का सवाल है
जिससे बचने के लिए मैं भाग रहा हूं
अपने घर की तरफ
और मेरा घर जाना ज़रूरी है
लेकिन सवाल घर जाऊं कैसे
क्योंकि हुकूमत का ऐलान हो चुका है
सभी वाहन बंद कर दिए गए है
सोचा क्यों न परिश्रम किया जाए
जैसे रोज परिश्रम करते हैं
फिर थैला लिया और सुनसान सड़कों पर
पैदल ही चल दिया
रास्ते में जब भूख सताती
तो पानी पी लेना ज़रूरी समझता
लेकिन पानी पी कर
दो-तीन दिन से ज्यादा जिंदा नहीं रहा जा सकता है
और भूख से मर जाना दिल को को गवारा न होता
क्योंकि इसी भूख को मिटाने के लिए
मैंने दिन-रात एक कर दिया
लेकिन आज भूख से मर जाना
मेरी नाकामी नहीं
बल्कि समाज की नाकामी है
जिसने मुझे इस हालात में
लाकर खड़ा कर दिया
जिसके लिए मैंने
घर बनाए
इमारतें बनाई
गाड़ी बनाई
सड़क बनाई
कपड़े बनाए
ना जाने क्या क्या बनाया
और उसी ने मुझे आज अकेला कर दिया
लेकिन मैं निरंतर चलता जा रहा हूं
घर की तरफ
क्योंकि मेरा घर जाना ज़रूरी है
इसी बीच मेरी नज़रें
हुकूमत की तरफ जाती हैं
जो हुकूमत हमेशा से
मुझे ऐसा ही देखना चाहती है
और आज भी हुकूमत के लोग
अपने सोफों पर बैठकर
टीवी कि स्क्रीन देख रहे हैं
और मुझे असहाय समझकर
हमेशा की तरह जानबूझ कर
अनदेखा कर देते है
और भीड़ के हवाले कर देते है
लेकिन मेरा घर जाना जरूरी है
इसलिए मुझे भीड़ में जाना मंजूर है
क्योंकि मैं भूख से मरना नहीं चाहता हूं
मेरा घर जाना ज़रूरी है
– मो०शादाब
एम०ए० हिंदी,जामिया मिल्लिया इस्लामिया
एस०आर० के० छात्रावास,जामिया मिल्लिया इस्लामिया
जामिया नगर, ओखला, नई दिल्ली-110025
मो०न०-9205803680