ये लड़ता हिंदुस्तान है

ये लड़ता हिंदुस्तान है

ये सड़कें ,ये चौराहे ,हर गली -गली सुनसान है ,
आज हवा में उड़ रहे पंछी और पिंजरे में बंद इंसान है।
मत घबराओ मेरे साथियों ,ये उगता हिंदुस्तान है ,
ये बढ़ता हिंदुस्तान है ,ये लड़ता हिंदुस्तान है।

आंचल नलवाया
आंचल नलवाया

आज न मंदिर में ,न मस्जिद में न गुरूद्वारे में भगवान् है ,
खेत खलिहान में दर्द मिटा रहा ,वो मेरा भगवान् है।
देखो तुम्हारे लिए युद्ध लड़ रहे हैं ,हमारे वीर जवान है ,
अपनी भूख प्यार को छोड़ ,ऐसे भारत में वीर महान हैं।

ये कैसी महामारी विचित्र बीमारी ,काली घटा बनकर छाई हैं ,
दर्द में तड़पकर मर जाए मनुष्य ,ऐसी पीड़ा लायी है।
क्या अमेरिका ,क्या इटली ,पुरे विश्व कि शामत आई है ,
सब मिलकर लड़ों साथियों ,ए नर्क कि परछाई हैं।

आज हमारी जन्मभूमि पर न कमल न हाथ हाथ है ,
बन गया ये देश कुटुम्बकम् ,हर बच्चा बच्चा साथ है।

हम सिर्फ एक नहीं ,हर दिन थाली शंख बजायेंगे ,
इस दुःख कि घडी को भूल ,खुशियों के गीत गायेंगे।
जल्द खत्म हो जाए ए दिन मिलकर जश्न मनाएंगे।
उठों साथियों हम योद्धा बनकर ,इस मिटटी को बचायेंगे।

हाथ जोड़कर विनती है ,ये लक्षमन रेखा पार न करना ,
वक्त लगेगा थोड़ा और तब तक अपने घर में रहना ,
घर के अच्छे मुखिया बनना ,नहीं तो पड़ेगा सबको सहना ,
सब लड़ेंगे तुम मत डरना ,जड़ में मिट जायेगी यह बड़ी बीमारी विचित्र कोरोना।

क्योंकि मुझे मेरे देश पर अभिमान है ,
मत घबराओं मेरे साथियों ,
यह उगता हिंदुस्तान है ,
यह बढ़ता हिंदुस्तान है ,
यह लड़ता हिंदुस्तान है।

– आंचल नलवाया

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