इंडियन विकिपीडिया » सामान्य ज्ञान » कबीर के दोहे – आँखों देखा घी भला कबीर के दोहे – आँखों देखा घी भला Updated on September 3, 2023 by Indian Wikipedia Share Facebook Twitter Pinterest Linkedin WhatsApp आँखों देखा घी भला, न मुख मेला तेल । साघु सो झगड़ा भला, ना साकट सों मेल ॥ वेद थके, ब्रह्मा थके, याके सेस महेस । गीता हूँ कि गत नहीं, सन्त किया परवेस ॥ तीजे चौथे नहिं करे, बार-बार करू जाय । यामें विलंब न कीजिये, कहैं कबीर समुझाय ॥