कैसे करें मां सरस्वती का पूजन

बसन्त पंचमी 
Basant Panchami 2019

Basant Panchami 2019 जानें कब है बसंत पचंमी,Saraswati Poojan Vidhi सरस्‍वती पूजा का शुभ मुहूर्त, कैसे करें पूजन क्या है सरस्वती पूजन की विधि – वसंत पंचमी या श्रीपंचमी एक हिन्दू त्योहार है।इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।यह माघ शुक्ला पंचमी को मनाया जाता है . यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण करती हैं। माघ मास के बीस दिन व्यतीत होते होते शीत का प्रकोप काफी कम हो जाता है, और शिशिर के पश्चात् आगमन होने लगता है ऋतुराज बसन्त का .यद्यपि पेड़ों पर नए पत्ते और बसन्त ऋतु तो चैत्र-वैशाख में ही आती है, परन्तु बसन्त की छटा का आगमन तो हो ही जाता है।एक प्रकार से बसन्त ऋतु के स्वागत में मनाया जाता है यह त्यौहार।इसके साथ ही बहुत अधिक धार्मिक महत्व भी है इस तिथि का। आज भगवान् विष्णु और मातेश्वरी सरस्वतीजी की पूजा तो की ही जाती, कामदेव तथा उनकी पत्नी रति की पूजा का भी विशिष्ट विधान है। 

बसन्त पंचमी शुभ पूजा  मुहूर्त Basant Panchami Date – 

इस साल ये तिथि 10 फरवरी को पड़ रही है.पूजा का शुभ मुहूर्त 10 फरवरी को सुबह 07.07 बजे से दोपहर 12.35 बजे तक का है.

नियमपूर्वक कलश स्थापना – 

आज विद्या और कला की अधिष्ठात्री देवी सरस्वतीजी का जन्म दिवस है। यही कारण है कि नवरात्रों में दुर्गा-पूजा
देवी सरस्वती
देवी सरस्वती

के समान ही आज बड़ी धूमधाम से की जाती है वीणा वादिनी सरस्वतीजी की पूजा। सरस्वती-पूजन के हेतु एक दिन पूर्व से नियमपूर्वक रहकर, दूसरे दिन नित्य कर्मों से निवृत्त होकर कलश स्थापित  करें।सर्वप्रथम गणेश, सूर्य, विष्णु, शंकर आदि की पूजा करके सरस्वती पूजन करना चाहिए। निम्न मन्त्र पढ़ कर सरस्वती जी का आचमन करें –

या कुंदेंदु तुषारहार धवला, या शुभ्र वस्त्रावृता।
या वीणावर दण्डमंडितकरा, या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभ्रृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमां आद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा पुस्तक धारिणीं अभयदां जाड्यान्धकारापाहां।
हस्ते स्फाटिक मालीकां विदधतीं पद्मासने संस्थितां
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धि प्रदां शारदां॥

चढ़ाएं पीले रंग का प्रसाद – 

सरस्वती की पूजा में पीले रंग की वस्तुओं और फलों के प्रयोग का विशिष्ट महत्व है। देवी के सामने पुस्तक रखकर दक्षिणा अर्पित कर आरती उतारी जाय और वासंती वस्त्र (पीले रंग के ) पहने जाएँ। रेवड़ियों, केलों, किसोर इत्यादि का भोग लगाया जाय। मीठे केसरिया चावल बनाये जाएं। भगवान की मूर्ति तथा देवी सरस्वती की प्रतिमा को केसरिया रंग के वस्त्र पहनाने चाहिये।यह पूजा-उत्सव विहार तथा बंगाल में बड़ी धूमधाम से शिक्षा संस्थानों तथा घरों में मनाया जाता है। 
मातेश्वरी सरस्वती और भगवान् विष्णु के अतिरिक्त आज कामदेव और रति की पूजा भी होती है।बसन्त कामदेव का सहचर है इसलिए कामदेव और रति की पूजा करके उनकी प्रसन्नता प्राप्त करनी चाहिए।आज पति को स्वयं परोसकर खाना अवश्य खिलावें।इससे पति के कष्टों का निवारण होता है और उसकी आयु में वृद्धि होती है।

अक्षराभ्यास का दिन है वसंत पंचमी – 

बसन्त पंचमी को प्रातःकाल तेल तथा उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए और पवित्र वस्त्र धारण करके भगवान् नारायण का विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए।इसके बाद पितृ-तर्पण और ब्राह्मण-भोजन का भी विधान है।मन्दिरों में भगवान की प्रतिमा का वासन्ती वस्त्रों और पुष्पों से श्रृंगार किया जाता है तथा बड़ा उत्सव मनाया जाता है।इस पंचमी को लोग पहले गुलाल उड़ाते थे और वासन्ती वस्त्र धारण कर नवीन उत्साह और प्रसन्नता के साथ अनेक प्रकार के मनोविनोद करते थे।यही कारण है कि बसन्त पंचमी को रंग पंचमी भी कहा जाता है। 

सरस्वती जी की आरती – 

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
देवी सरस्वती
देवी सरस्वती
॥ जय सरस्वती माता…॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी।
सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी॥
॥ जय सरस्वती माता…॥
बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला।
शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला॥
॥ जय सरस्वती माता…॥
देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया॥
॥ जय सरस्वती माता…॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो॥
॥ जय सरस्वती माता…॥
धूप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो॥
॥ जय सरस्वती माता…॥
माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे।
हितकारी सुखकारी, ज्ञान भक्ति पावे॥
॥ जय सरस्वती माता…॥
जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥

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