कयामत
कयामत की वो रात थी
जब मेरी उसकी मुलाकात थी
हाथ थरथराए , मुंह लाल हुआ
कलेजे पर मानो आफत थी
जब मेरी उसकी मुलाकात थी
वो मेरे
करीब आई
मैं उसके पास गया
भावना का मानो सैलाब बह गया
जमाने भर की दौलत मेरे साथ थी
जब मेरी उसकी मुलाकात थी
लब ना खुले मानो सिल गए
आंखें शरमाई मानो पथरा गई
हाथों में हमारे एक दूजे के हाथ थे
जब मेरी उसकी मुलाकात थी
स्वर्ग का एहसास अंदर तक भर गया
स्पर्श उसका यह जादू कर गया
जन्नत की अप्सरा वो,,मेरे लिए सौगात थी
जब मेरी उसकी मुलाकात थी
गंगा जमुना का संगम समान मिलन हमारा
उस एक पल को हसीन कर गया
पुष्प वर्षा समान इंद्रलोक से यु बरसात थी
जब मेरी उसकी मुलाकात थी
कयामत की वो रात थी
कयामत की वो रात थी
– सोनिया अग्रवाल
प्राध्यापिका अंग्रेजी
राजकीय पाठशाला सिरसमा
कुरूक्षेत्र