कलम का ख्याल

कलम का ख्याल


चलते-चलते यूं ही एक ख्याल आया
कलम ने जैसे हो आज
फिर मुझे बुलाया,
कलम जो आज उठाया
ख्यालों का समंदर मैने पाया,
चुनने के लिये कुछ खास 
गोता जो लगाया मैंने
पाया मैंने
कलम का ख्याल
हरेक ख्याल खास है,
हरेक के लिए उसका ,
लिखे जाना खास है
ख्याल मगर ये 
बेहद खास है
थोड़ी जहद़ोजहद की
आस है,
जहद़ोजहद जीवन के पास है,
कलम ने चुना जहद़ोजहद
और लगा लिखने,
लगा कहने,
“रोज़ गुजरना पडता है
कभी हमें 
कभी तुम्हें
रास्ता पाने के लिए 
मंजिल तक जाने के लिए
चलने के लिए 
तो कभी कभार रूकने के लिए भी
और तो और करनी पडती है
जहद़ोजहद
ताउम्र जीने के लिए भी”
कलम ने फिर लिया विराम
बयां कर अपने अहसास तमाम
विराम ही लिया है,
कलम ने मेरे मगर
थमा नहीं है ये अभी,
लिखेगा फिर 
चुनकर समंदर मेंं से ख्याल कोई,
शुरू होगी नयी 
जहद़ोजहद फिर कोई ।
                                                       
– शुभी

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