गोलू मोलू
गोलू मोलू
दो बच्चे हैं
नहीं करते कभी झगड़ा
प्रेम रस बरसाते हैं
दीन दुखियों की सेवा करते
माँ बाप की इज्जत करते
रोज सुबह जल्दी उठते
पाठ को पढ़ते
स्नान ध्यान करके
रोज स्कूल जाते
बासी नहीं खाते
आसपास सफाई रखते
मिलजुल कर
रहतें हैं
कभी किसी को नही खिझाते हैं
बड़ों का सम्मान रखतें हैं
वे सब के प्रिय हैं
(2) चालू मालू
चालू मालू
दो बच्चे हैं
रोज लड़ते हैं
मारपीट करके
कभी किसी का दाँत टूटा है
किसी का पैर
मम्मी पापा को गाली देते
राही को सताते
रात दिन के नटखट से
सारा मोहल्ला परेशान है
कभी कभार स्कूल जाते
बासी खाते
गंदे कपड़ों में लिपटे रहते हैं
वे कभी नही समय से उठते हैं
हर बार वे फेल होते हैं
यह रचना जयचंद प्रजापति कक्कू जी द्वारा लिखी गयी है . आप कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं . संपर्क सूत्र – कवि जयचन्द प्रजापति ‘कक्कू’ जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद ,मो.07880438226 . ब्लॉग..kavitapraja.blogspot.
com