हरित किनारा नभ लाली

हरित किनारा नभ लाली

स्वर्णिम रेत किनारा
शीतल पवनों की लपटें
लहरों की अफरा-तफरी
सुधा धूप सी प्यारी बूंदे
टिमटिम करते चांद-सितारे
नदियों के तट प्यारे ।
जीवन की ये मन्द गति
नदियों के तट प्यारे
नदियों के तट प्यारे
आशाओं के सिंहनाद
बिखरे सपनों के करूण-नाद
स्मृतियों की जीवन गाथा
नदियों के तट प्यारे ।
लहरों के ये मंद-गान
शैशव का है अभिनंदन 
हरित किनारा नभ -लाली
गुजर जाये रजनी-काली
कुसुम -लता सा मानव जीवन
जीता अतीत की यादों में
गगन धरा कब मेल करे
बिना किसी भेदभाव 
जीवन लीला नदी के जल -सा
कतरा-कतरा बिखर रहा
नदियों के तट प्यारे।
– धर्मजीत ‘मानव’

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