अमिता उपन्यास यशपाल
अहिंसावादी निर्भीकता से प्रभावित होकर सम्राट अशोक के ह्रदय परिवर्तन की घटना को लेकर कथानक का पुट बुना गया है। अशोक के प्रचंड आक्रमण को विफल करते हुए भी कलिंग के वीर महाराज युद्ध में घायल होकर ,युद्ध के एक वर्ष बाद परलोकवासी हो गए। पति – वियोग में दुखी महारानी बौद्ध धर्म में दीक्षित होकर संसार से विरक्त जीवन व्यतीत करने लगती है। महामात्य तथा सेनापति शिशु सामग्री अमिता के नाम पर राज्य सञ्चालन करते हैं।
अमिता उपन्यास का उद्देश्य सन्देश
यशपाल जी ने उक्त ऐतिहासिक मूल कथा के आधार पर तत्कालीन जीवन और समाज का यथार्थवादी चित्रण किया है।ऐतिहासिकयथार्थवाद की कसौटी पर यह उपन्यास खरा उतरता है। यह उपन्यास हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति के उन गौरवशाली तत्वों – पंचशील तत्वों को -बड़े ही स्पष्ट रूप में हमारे सामने रखते हैं ,जो आज हमारे राष्ट्र की नीतियों का आधार है। इस दृष्टि हिंदी के ऐतिहासिक उपन्यासों में अमिता का विशिष्ट स्थान बन गया है।