मुल्ला नसरुद्दीन की दास्तान/मुल्ला साहब के जूते

मुल्ला नसरुद्दीन 
रास्ते के कुछ छोकरों ने तरकीब सोची थी – मुल्ला साहब के जूतों को हथियाने की . एक लम्बे पेड़ की ओर दिखाते हुए उन लोगों ने मुल्ला साहब से कहा, – “वह जो पेड़ देख रहे हैं ,उस पर चढ़ने की मजाल किसी की नहीं है . ‘
‘मेरी है ‘. कह कर मुल्ला साहब ने जूतों  को पाँवों से उतारे बिना ही उस पेड़ पर चढ़ना शुरू किया . 
उलटा होते देख लड़कों ने चिल्लाकर कहा – ‘ओ मुल्ला साहब ,उस पेड़ पर आपके जूते किसी काम आयेंगे क्या ? 
मुल्ला साहब ने पेड़ के ऊपर से जबाब दिया , ‘पेड़ के ऊपर रास्ता नहीं  है ,यह कौन कह सकता है ? 

मुल्ला नसरुद्दीन होजा तुर्की (और संभवतः सभी इस्लामी देशों का) सबसे प्रसिद्द विनोद चरित्र है. तुर्की भाषा में होजा शब्द का अर्थ है शिक्षक या स्कॉलर. उसकी चतुराई और वाकपटुता के किस्से संभवतः किसी वास्तविक इमाम पर आधारित हैं. कहा जाता है की उसका जन्म वर्ष १२०८ में तुर्की के होरतो नामक एक गाँव में हुआ था और वर्ष १२३७ में वह अक्सेहिर नामक मध्यकालीन नगर में बस गया जहाँ हिजरी वर्ष ६८३ (ईसवी १२८५) में उसकी मृत्यु हो गई. मुल्ला नसरुद्दीन के इर्दगिर्द लगभग ३५० कथाएँ और प्रसंग घुमते हैं जिनमें से बहुतों की सत्यता संदिग्ध है.

सौजन्य :- विकिपीडिया हिंदी

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