दुआएं

दुआएं

नही भर सकतीं दुआएं
अगर भर सकतीं तो,
यहाँ कोई….

दुआएं
दुआएं

परेशान न होता,
वृद्धाश्रम न होता,
भिखारी न होते,
बेरोजगारी न होती,
सम्प्रदायिकता की बीमारी न होती,
बात बात पर झगड़े न होते,

होता यूं कि
जब भी कोई परेसान होता
माँ की गोद मे सर रख के
दुआ मांग लेता,
माँ बाप भगवान होते,
भीख की जगह हक होता,
बिना काम के भी इंसान चैन से सोता,
ईश्वर बांटा नही जाता मजहबो में,
सबमे भाईचारा होता।

सोचो दुआओ में ताकत होती तो,
कैसा होता?


– श्रद्धा मिश्रा

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